विमल मिश्र
क्या आपने कभी सिनेमा के किसी सितारे को मुंबई की किसी लोकल ट्रेन में यात्रा करते देखा है? अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा… ऐसे कई नाम हैं, यह उनके लिए सिर्फ जॉय ट्रिप ही नहीं है…
सफेद मास्क और नीली हूडी में बांहे जोड़े सुस्ताता यह नौजवान वसई लोकल में अक्सर कभी-कभी एक लड़की के साथ भी दिखाई देता। ‘थका होगा’ सोचकर लोग उसे सोने दिया करते, जब तक कि मालाड के बाद एक छोटे से बच्चे ने ‘आप टाइगर हो न!’ कहकर उसे पहचान नहीं लिया। हाइवे पर ‘मुन्ना माइकल’ के एक्शन सीन्स की शूटिंग करते हुए टाइगर श्राफ को १० दिन लगातार वसई आना पड़ा। थकाऊ यात्रा में घंटों जाया करने की बजाय उन्होंने लोकल ट्रेन की ही राह ली।
कार उपलब्ध नहीं थी और मुंबई में टैक्सियों की हड़ताल थी, उस दिन। शहर के दूसरे छोर पर जाने के लिए मनीषा कोइराला ने बुर्का पहना और हिम्मत करके लोकल में पहुंच गई थीं, कि तभी एक टीसी को टिकट दिखाने की कशमकश में उनके खूबसूरत मुखड़े की झांकी किसी ने देख ली और उन्हें भागना पड़ा।
फिल्म स्टार्स लोकल में कब चढ़ते हैं? जाहिर है, जल्दी यात्रा की मजबूरी से। पर, सुरक्षा के लिहाज और ‘पैंâस’ के अराजक होने का खतरा न हो तो बॉलीवुड के कई सितारे आज भी ऐसे हैं, जिन्हें लोकल ट्रेनें पसंद हैं। बनिस्पत एसी कार और वैनिटी वैन्स के। हां, वे ए. सी. या फर्स्ट क्लास के डिब्बों में चढ़ते हैं और फिल्मी सहायकों, प्राइवेट सेक्रेटरी और बॉडी गार्ड्स के साथ चलते हैं। उनका पीछा करते हैं, फोटोग्राफर। देवानंद, शाहरुख खान, रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, जितेंद्र, शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेंद्र, गोविंदा, कामिनी कौशल, सुभाष घई, जैकी श्रॉफ, राज बब्बर, मिथुन चक्रवर्ती, सोनाक्षी सिन्हा, नवाजुद्दीन … ऐसे कितने ही स्टार हैं।
फिल्मी सितारे लोकल में इसलिए भी यात्रा करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने ‘स्ट्रगल’ या मुफलिसी के दिन याद आते हैं, जब मुंबई में लंबी दूरी तय करने लिए लोकल ही उनका सहारा होती थी। लता मंगेशकर, ग्रांट रोड में जहां उनका घर था, वहां से अपने गानों के सिलसिले में दादर, अंधेरी, गोरेगांव और मालाड खूब जाया करतीं। ‘महल’ के ‘आएगा, आने वाला …’ से वे लोकप्रिय हो चली थीं, पर कार खरीदने लायक पैसे तब भी नहीं हुए थे। आशा भोसले ने भी लोकल से खूब यात्राएं कीं। ‘कयामत से कयामत तक’ के हिट होने तक आमिर खान के पास अपनी कार नहीं थी, तब वे भी लोकल ट्रेनों से ही सफर करते थे। अनुपम खेर ३७ वर्ष पहले जब पहली बार मुंबई आए तो उनकी जेब में केवल ३७ रुपए थे। कुछ साल पहले उन्होंने सीएसएमटी से बांद्रा लोकल में एक बार फिर सफर करके उन दिनों की यादें ताजा कीं। अमिताभ बच्चन ने भी कुछ समय पहले सीएसएमटी से भांडुप तक सामान्य यात्री की तरह यात्रा की और लोकल ट्रेनों में गिटार बजाने वाले सौरभ निंबालकर के साथ फिल्मी गानों का लुत्फ उठाया।
पूरी लोकल में अकेले
३० अगस्त, २००८, रात साढ़े सात। शनिवार का दिन और पीक ऑवर खत्म होने के बावजूद चर्चगेट पर भारी भीड़ थी कि हठात फर्स्ट क्लास के एक डिब्बे से अप्सरा सी सुंदर एक बाला ने लोगों के कदम ठिठका दिए। यह थीं प्रियंका चोपड़ा। स्टेशन से निकलते ही सिक्यूरिटी गार्ड्स के घेरे में वे बाहर खड़ी कार में जा समार्इं। यह कार ‘कमीने’ के प्रोड्यूसर विशाल भारद्वाज और मुबीना ने भेजी थी। रात साढ़े आठ नरीमन पॉइंट के एनसीपीए की एक अवॉर्ड सेरिमनी में उन्हें पुरस्कृत किया जाना था और चूंकि गोरेगांव से इतनी जल्दी सड़क मार्ग से आना असंभव था इसलिए वही ट्रेन जिसमें दिन भर वी फिल्म की शूटिंग होती रही, उन्हें चर्चगेट ले आई थी। एक लोकल पीक ऑवर में अमूमन पांच हजार लोगों को ढोती है। उस पर इस शाम सिर्फ पांच लोग सवार थे। एक प्रियंका और बाकी उनका स्टाफ। १३ जून, २०१२ को एक बार फिर उन्होंने लोकल की सवारी की। इस बार उनके हमसफर बने शाहिद कपूर और कुणाल कोहली।
अनिल कपूर की लोकल ट्रेन से फुटबोर्ड से लटकते फोटो जब अखबारों में छपी तो प्रशंसकों ने ही खतरा लेने के लिए उन्हें फटकार लगाई। सोनू सूद, जो फुटबोर्ड पर बैठकर सफर कर रहे थे तो उनको रेलवे से माफी मांगनी पड़ी।
विदेशी सितारे भी
कई विदेशी फिल्मों की लोकेशन भी लोकल है। हॉलिवुड की टॉप अभिनेत्री एंजेलिना जोली २००६ में अपनी मशहूर फिल्म A Mighty Heart की शूटिंग के सिलसिले में मुंबई में थीं कि लोगों ने उन्हें लोकल ट्रेनों के बारे में बताया और वे चढ़ गर्इं चर्चगेट की लोकल में। चर्नी रोड से मुश्किल से सात-आठ मिनट की इस यात्रा में उनके साथ थे गार्ड्स और को-स्टार डैन फुटरमैन। टी-शर्ट और कार्गो पैंट में खूब जंच रही जोली को मुंबईकर पहचानते कि उनका गंतव्य आ गया। सुपरस्टार पति ब्रैड पिट को उन्होंने इस एडवेंचर के बारे बताया तो उन्होंने शिकायत की कि ‘मुझे क्यों नहीं ले गईं!’
गांधीजी हमेशा ट्रेनों में सबसे निचले दर्जे में यात्रा किया करते थे। अब मंत्रियों और राजनीतिज्ञों के ट्रेनों में यात्रा करने पर फोटो छपती है और खबर बनती है। मुंबई में जल्दी या समय पर पहुंचना हो तो भिखारी हो या लाट साहब, लोकल ही सबसे भरोसेमंद सवारी है। राजनीति और सामाजिक क्षेत्र के सुनाम नेता-जिनमें विधायक, सांसद, नगरसेवक, मेयर और अन्य राजनीतिज्ञ भी शामिल हैं। आज भी कई बार लोकल से ही यात्रा करते हैं। ८-१० ‘सहयात्रियों’ के साथ जो किसी को उनकी सीट के आस-पास फटकने ही नहीं देते। समाजसेवी मेधा पाटकर व पूर्व सांसद मृणाल गोरे ऐसे लोगों में हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर के उच्च शिखर पर लोकल ट्रेनों में यात्रा की। लोकल में लंबे समय तक यात्रा करनेवाले उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक को तो रेल मंत्री बनने का गौरव भी हासिल हुआ।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)