विमल मिश्र
राज ने सिमरन को जैसे ही हाथ बढ़ाकर प्लेटफॉर्म से स्पीड पकड़ती ट्रेन में ऊपर खींचा, फिल्मों में ऐसे दृश्यों की बहार आ गई। रोमांस, भाग-दौड़, मारधाड़, हत्या और इमोशन। चूंकि मुंबई फिल्म नगरी है, इसलिए जाहिर है ऐसी फिल्मों की शूटिंग यहां के आस-पास के रेलवे स्टेशनों और उनके आसपास चलती ट्रेनों में ही होनी है।
शाहरुख (राज) ने काजोल (सिमरन) को ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (१९९५) में हाथ बढ़ाकर बाहर निकल रहे प्लेटफॉर्म से स्पीड पकड़ती ट्रेन में खींचकर ऊपर खींचा कि फिल्मों में ऐसे दृश्यों की बहार लग गई। स्वभावत: इनकी लोकेशन बने मुंबई और आस-पास के इलाके। ‘चेन्नै एक्सप्रेस’ की तो शुरुआत ही छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) स्टेशन से होती है, जब दीपिका पादुकोण को ऊपर चढ़ने में शाहरुख खान के हाथ का सहारा मिलता है। दूसरी फिल्मों में ऐसा प्रेमी युगल है, अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर (हॉफ गर्लप्रâेंड), रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण (यह जवानी है दीवानी) और शाहिद कपूर और करीना कपूर (जब वी मेट)। विदेशी लोकेशन (बुडापेस्ट) पर ‘राब्ता’ (सुशांत सिंह राजपूत और कृति सेनन)। खुद डीडीएलजे के शाहरुख और काजोल ने यह दृश्य ‘दिलवाले’ (२०१५) में एक बार फिर दोहराया, इस बार बल्गेरिया की राजधानी सोफिया में।
शूटिंग के लिए सबसे हिट स्टेशन अगर मुंबई में हैं तो मध्य रेल में। नई मुंबई के पॉश लुक स्टेशन, वाडीबंदर, लोनावाला, कल्याण जंक्शन, रे रोड, भायखला यार्ड, कुर्ला कार शेड, चूनाभट्टी, चौक और पनवेल-कर्जत लाइन के स्टेशन। इनमें भी आप्टा, जो मुंबई के पास होने से सस्ता तो है ही, यहां सुरक्षा का भी झंझट नहीं। ‘लगा चुनरी में दाग’, ‘धूम’, ‘पेज थ्री’, ‘स्वदेश’, ‘बंटी और बबली’, ‘अपहरण’, ‘डोंबिवली फास्ट’, ‘रंग दे बसंती’, ‘चाइना टाउन’, ‘कलयुग’, ‘फना’, ‘जॉनी गद्दार’, ‘अ वेड्नस डे’, ‘लंच बॉक्स’, ‘पीके’, ‘बागी’, ‘काबिल’, ‘मुन्ना माइकल’ जैसी फिल्मों, ‘सजन घर जाना है’, ‘रहना है तेरी पलकों की छांव में’, ‘लेडीज स्पेशल’ और ‘सीआईडी’ जैसे टी.वी. सीरियल्स, ‘सैक्रेड गेम्स’ सरीखी वेब सीरीज और ढेरों विज्ञापन फिल्मों की भी शूटिंग रेल परिसरों में हुई है।
सीएसएमटी ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ बनने से काफी पहले से फिल्मकारों की पहली पसंद रहा है। स्विट्जरलैंड की एनजेडजेड टेलिविजन की निर्माता गर्टी माडार ने विश्व के जिन चार प्रमुख रेलवे स्टेशनों का फिल्मांकन अपने टेलि-सीरियलों के निर्माण के सिलसिले में किया है, सीएसएमटी उनमें सबसे महत्वपूर्ण है। सबसे ताजा कड़ी है बीबीसी निर्मित गेरी ट्रोयना की तीन किश्तों में फिल्माई ‘मुंबई रेलवेज’। एकांत में और भीड़-भाड़ से दूर यहां का प्लेटफॉर्म नंबर-१८ इस लिहाज से सबसे मुफीद बैठता है। पश्चिम रेल में चर्चगेट स्टेशन, लोअर परेल कार शेड, कांदिवली कार शेड, विरार कार शेड, जोगेश्वरी यार्ड, परेल वर्क शॉप और बांद्रा टर्मिनस शूटिंग के काम आते हैं। गोरेगांव शूटिंग के लिए लोकप्रिय स्टेशन है, यहां की एक लूप लाइन। दो ट्रेनों का एक साथ मूवमेंट भी यहां दिखाया जा सकता है। इससे यात्रियों को परेशान किए बिना शूटिंग संभव है। ‘यह जवानी है दीवानी’ जैसी फिल्मों की शूटिंग मुंबई सेंट्रल के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर हुई है, जो दिन के ज्यादातर वक्त खाली रहने से फिल्मवालों की पसंद है। कुछ प्रमुख फिल्मों की जिन स्टेशनों पर शूटिंग हुई, इस प्रकार हैं। सीएसएमटी : ‘चेन्नै एक्सप्रेस’, ‘रब ने बना दी जोड़ी’, ‘अतिथि तुम कब जाओगे’। वाडीबंदर : ‘कमीने’। मुंबई सेंट्रल यार्ड : ‘जॉनी गद्दार’, ‘बॉडी गार्ड’। लोअर परेल कार शेड : ‘भैयाजी सुपरहिट’। कॉटन ग्रीन : ‘पैंâटम’। बांद्रा : ‘गजनी’। गोरेगांव : ‘द हीरो’, ‘कमीने’। पनवेल : ‘शोले’, ‘बर्निग ट्रेन’। लोनावला : ‘रोबोट’ और ‘जब वी मेट’। आप्टा और जीते : ‘रंग दे बसंती’ के काकोरी रेल डवैâती कांड की शूटिंग यहां हुई। पेण, आप्टा और बीच के स्टेशन : ‘स्वदेश’, ‘फिदा’, ‘बंटी और बबली’, ‘शादी नंबर वन’, ‘चाइना टाउन’ न्हावा शेवा के पास जसई यार्ड : ‘वांटेड’ और ‘रूप की रानी चोरों का राजा’।
मोटी कमाई
२६ नवंबर, २००८ के आतंकी हमलों और कोरोना महामारी के दौरान हुए व्यतिक्रम को छोड़ दें तो हाल के वर्षों में फिल्म शूटिंग रेलवे के लिए एक बड़ी कमाई के रूप में उभरी है। पूरा स्टेशन और ट्रेनों का सेट बनाना महंगा पड़ता है, इसलिए फिल्मकार मोटी फीस के साथ लाइसेंस फीस, इंश्योरेंस और बैंक गारंटी की एवज में पूरा रेल परिसर ही किराए पर ले लेते हैं। शूटिंग से पहले रेलवे को फिल्म की स्क्रिप्ट भी दिखानी जरूरी है, क्योंकि रेलवे को सार्वजनिक संपत्ति को होनेवाला नुकसान कबूल नहीं है। २०१८ में पश्चिम रेल और मध्य रेल दोनों ने फिल्म शूटिंग से एक करोड़ रुपए कमाए। नियम है कि किसी एक लोकेशन पर आठ घंटे की शूटिंग के लिए मध्य रेल सवा लाख रुपए चार्ज करेगी। मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए यह राशि २.३१ लाख रुपए और मालगाड़ियों के लिए २.५० लाख रुपए है। मोटी कमाई करानेवाली कुछ फिल्में इस प्रकार हैं : ‘रोबोट’ (१.५६ करोड़ रुपए), ‘कमीने’, बीबीसी डॉक्यूमेंटरी (६६ लाख रुपए), ‘स्लमडॉम मिलिनेयर’ (३३ लाख रुपए), ‘भैयाजी सुपरहिट’ (२३ लाख रुपए), ‘गली बॉय’ (१५.३२ लाख रुपए)।
विदेशी फिल्में
आपको कई विदेशी फिल्मों में भी लोकल ट्रेन के नजारे मिलेंगे। ‘स्लमडॉम मिलिनेयर’ जॉन आगस्टीन की फिल्म ‘द लिटिल गॉडफादर’ तो है ही ट्रेनों में रहनेवाले बच्चों पर। बीबीसी ने लोकल ट्रेनों पर फिल्में बनाई हैं। डिस्कवरी की ‘नाइट ट्रेन’ की लोकेशन है कुर्ला का लोकमान्य तिलक टर्मिनस। बंगला फिल्म ‘कबीर’ सहित कई हिंदी इतर भारतीय भाषाओं की शूटिंग भी सीएसएमटी पर हुई है।
प्रमोशनल ट्रेन
अक्टूबर-२०१९ में रेलवे ने ‘प्रमोशन ऑन वील्स’ नाम से नई शुरुआत की, जिसके तहत फिल्म प्रमोशन के लिए पूरी की पूरी ‘आईआरसीटीसी’ से बुक कराई जा सकती है। मुंबई सेंट्रल से दिल्ली के लिए आठ डिब्बों की जो पहली प्रमोशनल ट्रेन चली, उसमें अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, बॉबी देओल, कृति सेनन, पूजा हेगड़े, कृति खरबंदा और चंकी पांडेय सहित ‘हाउसफुल-४’ फिल्म का पूरा क्रू मौजूद था। इस प्रमोशनल ट्रेन को लगभग ५३ लाख रुपए में बुक किया गया। फराह खान ने ट्रेन डवैâती पर आधारित अपनी ‘तीस मार खां’ की म्यूजिक लॉन्चिंग लोनावला जानेवाली एक ट्रेन में की।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)