मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : बवाल ए वक्फ

झांकी : बवाल ए वक्फ

अजय भट्टाचार्य

संसद के हाल ही में संपन्न बजट सत्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया, जिसका विपक्ष ने विरोध किया। अब आंध्र प्रदेश में राजग की प्रमुख घटक तेलुगु देशम पार्टी ने भी इस विधेयक पर नजर तरेरी है। पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव फतुल्लाह मोहम्मद ने विधेयक के कुछ हिस्सों को ‘चिंताजनक’ बताया है और अपनी पार्टी से संसद में इसका समर्थन करने से पहले मुस्लिम नेताओं से सलाह लेने का आग्रह किया है। आंध्र प्रदेश की आबादी में मुसलमानों की संख्या लगभग १२-१३ फीसदी है, इसलिए तेदेपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि प्रस्तावित विधेयक के ‘विवादास्पद’ खंडों का समर्थन करके वह समुदाय को नाराज न करे। राज्य के रायलसीमा क्षेत्र में केंद्रित यह समुदाय तेदेपाका एक महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता है और हाल ही में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भारी जीत सुनिश्चित करने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इधर लंगड़ी सरकार की दूसरी बैसाखी जनता दल यूनाइटेड ने इस बिल का समर्थन तो कर दिया लेकिन इस मुद्दे पर जदयू में ही दो सुर सुनाई पड़ रहे हैं। जदयू एमएलसी गुलाम गौस की राय पार्टी से अलग है। गुलाम गौस का कहना है कि इस बिल को संसद में पेश करने से पहले इसको मुस्लिम समाज के आम जनमानस में चर्चा के लिए जाना चाहिए था। उसके बाद जब आम सहमति बनती तब इस बिल को संसद में लाना चाहिए था। हमारे पूर्वजों ने वक्फ बोर्ड को संपत्ति दान की है। संपत्ति दान में दी गई थी मुस्लिम और हिंदू समाज के प्रभावशाली लोगों की तरफ से ताकि गरीब-गुरबों का विकास हो, वे लाभान्वित हों। कोई खैरात वक्फ बोर्ड को नहीं दिया गया। वर्तमान केंद्र सरकार से मुस्लिम समाज आशंकित है। भाजपा वाले कभी दादरी बाबरी करते हैं। कभी लव जिहाद का मुद्दा उठाते हैं। कभी घर वापसी तो कभी तीन तलाक का मुद्दा। कभी एनआरसी, सीएए। अब वक्फ बोर्ड का मुद्दा उठाया जा रहा है। मौके पर चौका जड़ते हुए राजद ने इस मुद्दे पर जदयू को घेरते हुए कहा है कि संसद में इस बिल का समर्थन जदयू ने किया। जदयू अल्पसंख्यक विरोधी व मुस्लिम विरोधी है यह साफ हो गया है।
हवा-हवाई अन्नामलाई
भाजपा द्वारा तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई को बदलने की चर्चा फिर से शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद ही अटकलें शुरू हो गई थीं, जिसमें भाजपा के केंद्रीय नेताओं के एक वर्ग ने अन्नामलाई के एआईएडीएमके के साथ गठबंधन के खिलाफ रुख को राज्य में पार्टी की एक भी सीट नहीं जीतने का कारण बताया था। अब जब पूर्व आईपीएस अधिकारी अगले महीने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में तीन महीने के आवासीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयार हैं, तो अफवाहें फिर से तेज हो गई हैं। भाजपा के अंत:पुर से छनकर आई खबरें बताती हैं कि फिलहाल पार्टी के पास अन्नामलाई को बदलने की तत्काल कोई योजना नहीं है और फेलोशिप अवधि के दौरान वह पार्टी प्रमुख के रूप में बने रह सकते हैं। इसलिए फिलहाल अन्नामलाई जोश में हैं और उन्होंने एक राजनीतिक गुगली उछाल दी है कि पार्टी का लक्ष्य २०२६ के विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु में गठबंधन सरकार बनाना है। राज्य, आलाकमान और जिला पदाधिकारियों के साथ रविवार को तिरुप्पुर में हुई परामर्श बैठक में आगामी चुनाव की तैयारी शुरू करने पर चर्चा की गई। अन्नामलाई का गणित है कि मजबूत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन २०२६ में गठबंधन सरकार बनाने के अपने प्रयासों को दोगुना कर देगा और गठबंधन अपरिवर्तित रहेगा। २०२६ के चुनाव के दौरान राज्य में चतुष्कोणीय मुकाबला होने की संभावना है। डीएमके, एआईएडीएमके और एनडीए गठबंधन पहले से ही मैदान में हैं साथ ही नाम तमिलर कच्ची भी है। सवाल है कि अभी तक तमिलनाडु में राजनीतिक दंगल द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच ही होता रहा है। अन्नामलाई की कल्पना हवा-हवाई से ज्यादा कुछ नहीं है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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