अजय भट्टाचार्य
उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कल मतदान होगा। अयोध्या में दलित युवती के साथ बलात्कार के बाद उसकी नृशंस हत्या के कारण भाजपा के लिए चुनाव फंसता नजर आ रहा है। इस मामले ने भाजपा की राज्य इकाई के नेतृत्व के साथ-साथ स्थानीय नेताओं को भी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चुप करा दिया है। इसी मामले में रविवार को पैâजाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद अवधेश प्रसाद प्रेस कॉन्प्रâेंस में रोने लगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर सपा को ही घेरते हुए कहा कि सपा ‘पाजी’ और ‘गाजी’ को अपना प्रिय मानती है। मौजूदा मामले में अपने बचाव के लिए भाजपा, सपा नेता मोईद खान और नवाब सिंह के जरिए सपा पर वार कर रही है। दोनों पर क्रमश: अयोध्या और कन्नौज में महिलाओं की इज्जत संग छेड़छाड़ करने का आरोप है।
घर-घर दस्तक
उत्तर प्रदेश में अपने सबसे कमजोर दौर से गुजर रही बसपा एक बार फिर से अपने खिसकते हुए जनाधार को समेटने की कोशिश में जुट गई है। पार्टी घर-घर दस्तक देने का अभियान शुरू करने जा रही है, जिसके तहत पार्टी के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ता दलित समाज से संपर्क करेंगे और उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा किए गए कामों को बताएंगे। बसपा सुप्रीमो पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने में जुट गई हैं। बसपा सुप्रीमो पार्टी के घटते जनाधार को लेकर काफी चिंतित हैं। पार्टी के दलित जागृति अभियान की जिम्मेदारी बसपा के मंडलीय समन्वयकों के साथ ही जिलाध्यक्षों को भी दी गई है। इन सभी को एक महीने के भीतर ४० बूथों को कवर करने का लक्ष्य दिया गया है। ये पदाधिकारी दलितों के घरों तक जाएंगे और उन्हें मायावती सरकार में हुए कामों को बताएंगे।
ताला नहीं चाहिए
लगता है पर्दे के पीछे से अजीत गुट के नेता छगन भुजबल को मिला राज्यपाल पद का प्रस्ताव पसंद नहीं आया है। उनका कहना है कि मुझे किसी राज्य का राज्यपाल बनाना मेरे मुंह पर ताला लगाने जैसा होगा। मेरा काम समाज के गरीब और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ना है। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी व्यक्त की है। तेलगी स्टांप घोटाले में सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद भी भुजबल को लगता है कि इसकी वजह से अभी भी उनकी छवि प्रभावित होती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)