अजय भट्टाचार्य
आंध्र प्रदेश में तेलुगू देसम पार्टी, जनसेना पार्टी और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की आधिकारिक घोषणा होने से पहले सूबे के महत्वपूर्ण भाजपा नेताओं और समर्थकों ने केंद्रीय नेतृत्व को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उनसे गठबंधन के साथ आगे नहीं बढ़ने की अपील की गई थी। आंध्र प्रदेश से छनकर आई खबरों के मुताबिक, राज्य के भाजपा नेताओं ने आलाकमान को बताया था कि पार्टी को १९९८ के संसदीय चुनावों में १८.३ प्रतिशत वोट मिले थे और उसने अपने दम पर राजमुंदरी व काकीनाडा सीटें जीतीं। इसके बाद १९९९ में तेदेपा के साथ गठबंधन करने के बाद भाजपा का वोट शेयर ०.७ प्रतिशत तक गिर गया था। वर्तमान राज्य भाजपा नेतृत्व को `पैराशूट’ नेताओं के रूप में संदर्भित करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि पार्टी के टिकट उन भाजपा नेताओं को मिल सकते हैं, जो तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू के करीबी हैं और दशकों पुराने वफादारों को बाहर कर दिया जाएगा। रिपोर्ट में दग्गुबाती पुरंदेश्वरी और एन किरण कुमार रेड्डी जैसे संभावित भाजपा उम्मीदवारों को सूचीबद्ध किया गया है। जाहिर है, आंध्र भाजपा का एक तबका तेदेपा से चुनावी गठबंधन से खुश नहीं है।
पशुपति को झटका
बिहार में भाजपा ने पशुपति पारस को लगभग निपटा दिया है। लाख समझाने के बाद भी हाजीपुर के वर्तमान सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस अपने बड़े भाई रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान से समझौता करने को तैयार नहीं थे। यही कारण है कि भाजपा आलाकमान ने पशुपति कुमार पारस को झटका देते हुए चिराग पासवान की पार्टी लोजपा से गठबंधन करने का पैâसला किया। चिराग पासवान को चार से पांच लोकसभा सीट देने को भाजपा तैयार हो गई है। पशुपति कुमार पारस को साफ कह दिया गया है कि आपको हाजीपुर लोकसभा सीट छोड़नी होगी और उसके बदले आपको एक से दो लोकसभा सीटें दी जाएंगी। भाजपा ने पारस से साफ तौर पर कह दिया है कि अपने भतीजे चिराग पासवान से समझौता कर लीजिए, नहीं तो दोनों को परेशानी हो सकती है। पारस को साफ कर दिया गया है कि वैशाली और हाजीपुर लोकसभा सीट चिराग पासवान की पार्टी को दी जा रही है। आप हाजीपुर के बदले समस्तीपुर लोकसभा सीट से चुनाव की तैयारी कीजिए। हालांकि, पशुपति पारस ने साफ तौर पर कह दिया है कि हर हाल में वे हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे। भाजपा द्वारा पशुपति पारस को यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि या तो आप अपनी पार्टी और चिराग पासवान की पार्टी का विलय कर लीजिए, नहीं तो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़िए। अब वे सांसद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, जो पारस के साथ पार्टी छोड़ गए थे। भाजपा और जदयू १५-१५ या १६-१६ लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं। अगर ऐसा होता है तो ८ से १० सीटें राजग गठबंधन के घटक दलों को दी जा सकती हैं। एक सीट जीतन राम मांझी को और एक सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को भी दी जा सकती है। अगर मुकेश साहनी भी राजग की कश्ती में सवार होते हैं तो उन्हें भी एक सीट मिल सकती है।
पवन सिंह चुनाव लड़ेंगे!
बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर भाजपा की उम्मीदवारी से इनकार करने वाले भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह ने बिहार से ही चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। सोशल मीडिया मंच एक्स पर भोजपुरी गायक ने अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए राजनीतिक अखाड़े में उतरने का मन बनाया है। कुल मिलाकर कहा जाए तो पवन सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं और कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा की टिकट पर आरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर भाजपा की ओर से पवन सिंह को आरा से टिकट नहीं दिया जाता है तो वह इंडिया गठबंधन का दामन थाम सकते हैं और फिर राजद या कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का एलान कर सकते हैं। इससे पहले भाजपा ने उनको पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा सीट से टिकट देने का पैâसला लिया था और जारी सूची में उनका नाम था। टिकट बंटवारे के महज कुछ ही घंटे के बाद पवन सिंह ने ट्वीट करते हुए चुनाव न लड़ने का पैâसला लिया। उस समय कहा गया कि पवन सिंह नहीं चाहते हैं कि वह हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव ल़ड़ें, जो मूल रूप से पटना के रहने वाले हैं लेकिन अंदर की बात यह है कि पश्चिम बंगाल की महिलाओं को लेकर अश्लील गीत गाने के कारण पवन सिंह ने चुनाव नहीं लड़ने का पैâसला लिया था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)