असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर दोहराया है कि मुस्लिम वोट नहीं चाहिए। सभी समस्याएं वोट बैंक की राजनीति के कारण होती हैं, मैं महीने में एक बार मुस्लिम इलाके में जाता हूं, उनके कार्यक्रमों में शामिल होता हूं और लोगों से मिलता हूं, लेकिन मैं राजनीति को विकास से नहीं जोड़ता हूं, मैं चाहता हूं कि मुसलमानों को एहसास हो कि कांग्रेस के साथ उनका रिश्ता वोटों तक है। असम के मुख्यमंत्री ने ये बातें एक टीवी इंटरव्यू में कही हैं। वे बोले मुझे वोट मत दीजिए, मुझे अगले १० वर्षों में अपने क्षेत्रों का विकास करने दीजिए। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि बाल विवाह प्रथा समाप्त हो, बच्चों का मदरसा जाना बंद हो जाए, इसके बजाय कॉलेजों में वह जाएं, मैं विशेष रूप से मुस्लिम बेटियों के लिए सात कॉलेजों का उद्घाटन करने जा रहा हूं। मुसलमानों के लिए यह समझना क्यों महत्वपूर्ण है कि भाजपा के साथ उनका रिश्ता वोटों से परे है। कांग्रेस ने मुस्लिम इलाकों में बुनियादी ढांचे या स्कूल नहीं बनाए। लेकिन मैं उनका विकास करना चाहता हूं। मैं १०-१५ साल तक ऐसा करूंगा, फिर मुसलमानों से वोट मांगूंगा। मैं नहीं चाहता कि यह लेन-देन का रिश्ता बने। उन्होंने पिछले राज्य चुनाव में भी मुस्लिम इलाकों में प्रचार नहीं करने का फैसला किया था।
सोशल मीडिया पर राहुल को बढ़त
संसद में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार की जीत तय थी। सदन में चली तीन दिन की बहस में राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर सभी का ध्यान रहा। चौंकानेवाली बात यह है कि दोनों के भाषण सुननेवालों में राहुल बाजी मार ले गए, जो आंकड़े मिले हैं उसके अनुसार, संसद टीवी पर राहुल के लाइव भाषण को ३,२९,००१ दर्शकों ने देखा सुना जिसके मुकाबले मोदी का भाषण सुनने / देखनेवालों की संख्या मात्र ६,२४२ थी। राजनीतिक दलों के यूट्यूब चैनल पर भी राहुल के दर्शक ज्यादा रहे। कांग्रेस के आधिकारिक आईएनसी यूट्यूब चैनल पर राहुल को २४,७४,९८५ दर्शक मिले, जबकि भाजपा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर ४,६९,१८० दर्शकों ने नरेंद्र मोदी को लाइव देखा सुना। व्यक्तिगत यूट्यूब चैनल पर राहुल गांधी को १५,८१,९३५ दर्शक मिले, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को १२,०४,१०६ दर्शकों ने देखा। यूट्यूब पर राहुल के लगभग १९ लाख फालोवर हैं, जबकि मोदी के फालोवारों की संख्या ६ करोड़ से भी ज्यादा है। इससे राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता व नरेंद्र मोदी की घटती लोकप्रियता का पता लगता है। भाजपा की खीज का एक कारण यह भी है।
सना को न्याय मिलेगा?
तस्वीर में दिख रही महिला सना खान महाराष्ट्र भाजपा के युवा मोर्चा की पिछले १० वर्षों से सक्रिय नेता थीं। एक बच्चे की मां सना का सोशल मीडिया एलबम देखकर लगता है कि वह खूब सुंदर जिंदगी जी रही थीं और राजनीति कर रही थीं। कई वीवी आईपी नेता, पूर्व मुख्यमंत्री / वर्तमान उपमुख्यमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। नागपुर की रहनेवाली सना २ अगस्त को रहस्यमय ढंग से लापता हो गईं। १० दिन बाद पता चला कि अमित साहू ने इनकी हत्या कर दी और लाश, नदी में फेंक दी। यह स्तंभ लिखे जाने तक सना की लाश नहीं मिली है। अप्रैल में सना ने अमित से कोर्ट मैरेज के जरिए दूसरी शादी की थी। अमित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सना अमित साहू उर्फ पप्पू से मिलने जबलपुर गई थी। दो अगस्त को उसका फोन बंद हो गया। कोई पता नहीं लग रहा था। जबलपुर पुलिस को भी सूचित किया गया और दोनों शहरों की पुलिस उसकी तलाश में जुट गई। अमित ने सना से पैसे लेकर बिजनेस में लगाए थे। जब सना ने पैसे वापस मांगे तो दोनों में विवाद हुआ। झगड़ा बढ़ा तो सना ने भी अपशब्दों का इस्तेमाल किया और अमित ने गुस्से में आकर उसके सिर पर डंडे से वार कर मार डाला और मानेगांव जाकर नदी में लाश को फेंक दिया। अब दोनों शहरों की पुलिस लाश की तलाश कर रही है। उम्मीद है कि भाजपा समर्थित राज्य सरकार, इस महिला को न्याय दिलाएगी, क्योंकि मामला उसके सक्रिय कार्यकर्ता का है। इसमें लव जिहाद जैसा मसाला भी नहीं है, अन्यथा अब तक तो भाजपाई गदर काट चुके होते।
अजय भट्टाचार्य
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)