मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : ईडी व्यस्त, तेजस्वी मस्त

झांकी : ईडी व्यस्त, तेजस्वी मस्त

अजय भट्टाचार्य

परसों जिस वक्त ईडी अफसर जमीन के बदले नौकरी घोटाले के मामले में लालू परिवार पर कार्रवाई करते हुए छह करोड़ की संपत्ति को जब्त कर रही थी, उसी वक्त बिहार के उपमुख्यमंत्री और लालू के बेटे तेजस्वी यादव बैठकर आरा की मशहूर पूरी-सब्जी खाने में मस्त थे। फेसबुक पर फोटो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि बिहार के किस क्षेत्र में हाथी कान पूरी आम बोलचाल में हाथी कान पूड़ी परंपरागत रूप से परोसी जाती है। विशाल हाथी कान पूड़ी के साथ बुंदिया, कोहड़ा, घुघनी तथा आलू-बैंगन की सब्जी मिश्रित चटनी एवं दही का स्वादिष्ट भोजन वर्णन से परे है।

बाबाजी का दंगा प्रबंधन
सात साल पहले रोडवेज बस से उतरकर पीठ पर पिट्ठू बैग टांगे एक युवक एसपी दफ्तर पहुंचा और वहां तैनात स्टेनो से कहा कि मैं आ गया हूं, आप सरकारी सिम मुझे दें। पुलिस के स्टेनो हैरान भी हुए कि आप कौन, जो सरकारी सिम मांग रहे हो। उन्होंने अपना परिचय दिया कि मैं नया एसपी प्रभाकर चौधरी। २०१० बैच के आईपीएस प्रभाकर चौधरी सादगी और ईमानदार छवि के लिए चर्चित हैं और इन पिछले दो दिनों से फिर चर्चा में हैं। उन्हें बरेली शहर को जलने से बचाने के लिए इनाम के तौर पर तबादले का आदेश थमा दिया गया है। प्रदेश में कानून का इकबाल होने का दावा करनेवाली बाबाजी की सरकार अपने एसपी के बजाय दंगाइयों के साथ बेशर्मी से खड़ी नजर आ रही है। रविवार को बरेली के जोगा नवादा में कांवड़ियों का एक जुलूस निर्धारित मार्ग की जगह एक मुस्लिम बहुल बस्ती में घुसकर जोर-जोर से डीजे बजाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहा था और पुलिस द्वारा मना करने पर कुछ उत्पातियों ने देसी तमंचे/अवैध पिस्तौल से फायरिंग भी कर दी थी। इस पर पुलिस द्वारा हल्का बल प्रयोग कर उन्हें वहां से खदेड़ दिया गया था और बलवा करने का मुकदमा लिख लिया गया था। प्रभाकर को इसकी ही सजा मिली। साथ ही संबंधित थाने के एसएचओ और चौकी इंचार्ज को इसी मामले में निलंबित कर दिया गया है। उ.प्र. के खेमका नाम से मशहूर प्रभाकर ने राज्य पुलिस की एनकाउंटर नीति को असंवैधानिक मानने के कारण कभी भी अपने क्षेत्र में लागू नहीं किया। १३ साल की सेवा के दौरान प्रभाकर चौधरी का यह २१वां तबादला है। मूलरूप से आंबेडकरनगर के रहनेवाले चौधरी ने बरेली में चार महीने पहले ही पुलिस कप्तान की कमान संभाली थी। अब उन्हें ३२वीं पीएसी लखनऊ भेजा गया है।

कौशांबी में ऑपरेशन लोटस…!
बीते साल विधानसभा चुनाव में कौशांबी की तीनों सीटों पर मिली करारी हार को सुधारने के लिए भाजपा ने सपा विधायकों पर नजर गड़ा दी है। जिले की सिराथू, मंझनपुर और चायल सीटों पर सपा ने कब्जा किया था। सिराथू सीट पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सपा की पल्लवी पटेल ने पटखनी दी थी, जबकि मंझनपुर से सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज और चायल सीट से पूजा पाल ने भाजपा-अपना दल के प्रत्याशी नागेंद्र सिंह पटेल को हराया था। पूजा पाल बसपा के टिकट पर इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से दो बार २००७ और २०१२ में विधायक रह चुकी हैं। पूजा पाल के प्रतिनिधि अनिल यादव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे लोग अलग ही मायने निकाल रहे हैं। वैसे दोनों विधायकों ने अपने समर्थकों से ऐसी राजनीतिक उठापटक से साफ इनकार किया है, लेकिन उनके फोन बंद होने से कयासों का बाजार और गरम हो गया है। सियासी जानकार दोनों दिग्गजों के संभावित राजनीतिक कदम को लेकर अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव में पूजा पाल को ओबीसी चेहरे के तौर पर परोस कर कौशांबी या फूलपुर लोकसभा सीट से भी मैदान में उतार सकती है। कौशांबी से विनोद सोनकर लगातार दूसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं, जबकि फूलपुर सीट से केशरी देवी पटेल सांसद हैं। कुछ दिन पहले सपा के विधायक दारा सिंह चौहान ने सपा का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। दारा सिंह को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है। पाल समाज पर अपनी मजबूत पकड़ रखनेवाली पूजा पाल अगर भाजपा में शामिल होती हैं तो उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ सकता है। तब भाजपा या तो उन्हें एमएलसी बनाकर मंत्री पद दे सकती है या फिर उप चुनाव में टिकट देकर फिर उतार सकती है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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