अजय भट्टाचार्य
गुजरात के दाहोद संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत महिसागर जिले के संतरामपुर स्थित परथमपुर में एक मतदान केंद्र पर गत ७ मई को वोटिंग हुई थी। शाम ५.४९ बजे विजय भाभोर नामक व्यक्ति वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर आया और ५.५४ बजे वहां से चला गया। इन पांच मिनटों में वह इंस्टाग्राम पर लाइव हुआ और फर्जी वोटिंग का सहारा लेते हुए कथित तौर पर दो अन्य मतदाताओं की ओर से वोट भी डाला। वीडियो में भाभोर को कथित तौर पर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन पर वैâमरा फोकस करते हुए और एक मतदान अधिकारी से पांच से दस मिनट की मांग करते हुए दिखाया गया है, भले ही उसे जाने के लिए कहा गया हो। भाभोर कथित तौर पर ये भी कहते हैं कि यहां केवल भाजपा ही काम करती है। वीडियो में उसका साथी भी नजर आया। ईवीएम का बटन दबाने से पहले उसने कहा कि मशीन मेरे बाप की है। वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस हरकत में आई और इसकी शिकायत की गई। फर्जी मतदान और आचार संहिता उल्लंघन मामले में भाभोर सहित दो लोगों को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। दाहोद से प्रभा तावियाड निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला मौजूदा सांसद जसवंत सिंह भाभोर से है।
इंदौर कथा
इंदौर में ऑपरेशन ‘निर्विरोध’ के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक अभय जैन ने कहा है कि कुछ भाजपा नेताओं ने उनसे मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का अनुरोध किया था। सत्तारूढ़ पार्टी ने इस दावे को `काल्पनिक’ और `प्रचार से प्रेरित’ बताकर खारिज कर दिया। संयोग से जैन ने २०२३ का विधानसभा चुनाव इंदौर-१ से भाजपा के दिग्गज (और अंतत: विजेता) वैâलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लड़ा था और अपनी जमानत जब्त करा ली थी। जैन निर्दलीय के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि उनकी जनहित पार्टी, जो पूर्व आरएसएस प्रचारकों की छत्रछाया संस्था है, को अभी तक चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली है। जैन के मुताबिक, २७ अप्रैल की देर रात चार भाजपा नेता उनसे मिलने आवास पर आए थे। संघ से पुराने संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें मेरा चुनाव लड़ना पसंद नहीं है और उन्होंने मुझसे प्रचारक के रूप में अपनी पुरानी भूमिका में काम करने का आग्रह किया। मुझसे मिलने आए लोगों में विजयवर्गीय, स्थानीय विधायक रमेश मेंदोला, भाजपा की शहर इकाई के अध्यक्ष गौरव रणदिवे और पार्टी के एक अन्य नेता नानूराम कुमावत शामिल थे। जैन ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और उनसे पूछा कि क्या राजनीति और चुनाव लड़ना बुरा है और क्या उनकी पार्टी के मुद्दों और कार्यशैली में कुछ गड़बड़ है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता गोविंद मालू ने जैन के दावे को गलत करार देते हुए कहा कि वे सिर्फ चर्चा में बने रहने और प्रचार पाने के लिए काल्पनिक बातें कर रहे हैं। वे हमारे लिए इतने चुनौतीपूर्ण उम्मीदवार नहीं हैं कि हमें उनसे मिलकर नामांकन वापस लेने के लिए कहना पड़े। बहरहाल भले भाजपा के कहने पर जैन न हटे हों, केंचुआ ने भाजपा के ऑपरेशन निर्विरोध में अपनी भूमिका निभाई और जैन का पर्चा ही खारिज हो गया।
२६ हार, हौसला बरकरार
गाजीपुर सीट के लिए हमेशा की तरह निर्दलीय उम्मीदवार सत्यदेव यादव ने एक बार फिर नामांकन किया। हर बार अनोखे तरीके से नामांकन करने को लेकर चर्चा में रहने वाले सत्यदेव इस बार दौड़ते हुए नामांकन स्थल तक गए। अब तक २८ बार चुनाव मैदान में कूदने वाले सत्यदेव हर बार जमानत जब्त करा चुके हैं। इसके बावजूद उनका हौसला बरकरार है। सत्यदेव चुनाव जीतकर जनता की सेवा करना चाहते हैं। सराय पीर मोहम्मद गांव निवासी सत्यदेव इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे बसपा और भाजपा में भी रहे हैं और तीन बार ग्राम प्रधान रह चुके हैं। वे हर बार विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। यह अलग बात है कि उनकी जमानत तक नहीं बच पाती, लेकिन सत्यदेव जनता के हित के लिए कुछ करने का जज्बा रखते हैं। वे मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आजमगढ़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से भी लड़े थे। पिछले लोकसभा चुनाव में वे घोड़े पर सवार होकर नामांकन करने कलेक्ट्रेट तक पहुंचे थे, जबकि उसके पहले बैलगाड़ी पर सवार होकर नामांकन करने गए थे। उनके पास आठ बीघा खेत है और करोड़ों की लागत का मकान है, जिसकी अलग पहचान है। उन पर १.८० लाख रुपए का कर्ज भी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)