अजय भट्टाचार्य
ड्रेस कोड को लेकर लखनऊ के गोल्फ क्लब में घमासान मचा हुआ है। बीते रविवार की सुबह इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन लखनऊ चैप्टर के पूर्व चैयरमैन प्रशांत भाटिया को कुर्ता-पायजामा पहने होने के कारण गोल्फ क्लब में प्रवेश से रोक दिया गया था। वे चेयरमेंस की बैठक में शामिल होने के लिए क्लब पहुंचे थे। भाटिया का सवाल है कि व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शान से कुर्ता-पायजामा व सदरी में पहुंचे हैं। क्या व्हाइट हाउस का कोई प्रोटोकॉल नहीं है? ड्रेस को लेकर क्लब के बाइलाज में संशोधन होना चाहिए। मैं भारतीय परिधानों को इसमें शामिल करने की मांग रखूंगा। अंग्रेजों ने भारतीयों में हीन भावना पैदा करने के इरादे से ड्रेसकोड सिस्टम को लागू किया था। स्वतंत्र भारत में इसे बदलना जरूरी है। इस मुद्दे पर गोल्फ क्लब के कैप्टन आदेश सेठ का कहना है कि हमें भारतीय परिधान से कोई परहेज नहीं। शेरवानी, कोट, नेहरू जैकेट आदि पहनकर लोग आते हैं। क्लब के स्पोर्ट्स एरिया में कुर्ता-पायजामा पहनकर जाने का कोई औचित्य नहीं। रेस्टोरेंट-बार आदि में भारतीय परिधान पर प्रतिबंध नहीं है। गोल्फ क्लब देश के जाने-माने क्लबों में से एक है, इसकी अपनी एक अलग पहचान है। भारतीय परिधानों पर हम विचार करेंगे यदि बोर्ड बैठक में इस पर बात उठती है तो इसी तरह अवध जिमखाना क्लब में भी ड्रेस कोड लागू है। क्लब के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल चाहते हैं कि भारतीय परिधान पहना जाना चाहिए। लेकिन हम सब नियमों से बंधे हैं। क्लब में नेकर में आने की अनुमति नहीं होती, लेकिन अपवाद हर जगह होते हैं। दो दिन पहले ही पैर में चोट लगे होने की वजह से मैंने एक सदस्य को एक-दो दिन नेकर में आने की छूट दी। ड्रेस कोड अनुशासन और एकरूपता बनाए रखने के लिए जरूरी है।
तबादले का दर्द
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा विभाग में स्थांतरण की नीति के चलते आठ ऐसे जिले हैं, जहां कभी भी कोई महिला कर्मचारी का तबादला नहीं हो सकता। जबकि अन्य जिलों में हर साल तबादले हो जाते हैं। ऐसी ही एक महिला सिद्धार्थनगर में पिछले ८ साल से तैनात है, मगर उसे तबादला नहीं मिला। महिला का दर्द अब सोशल मीडिया पर फूटा और वह अपनी वीडियो बनाते समय रोने लगी। यह एक महिला की समस्या नहीं है ऐसी हजारों महिलाएं हैं, जिनका वहां से तबादला नहीं हो पा रहा है, जबकि सरकार की गलत नीति के कारण कुछ महिलाएं वहां से साल २ साल में ही ट्रांसफर ले लेती है। वजह यह है कि अगर किसी महिला का पति निजी क्षेत्र में काम/नौकरी करता है तो वह तो जिंदगी भर भी वहां से ट्रांसफर नहीं करा सकती। जबकि जिन महिलाओं के पति सरकारी सेवा में हैं उन्हें अपने पति की पदस्थापना वाली जगह पर आसानी से तबादला मिल जाता है।
नारी के सम्मान, छोड़ा मैदान
चाल, चरित्र और चेहरे की दुहाई देनेवाली पार्टी अपने नेताओं के प्रति हमेशा उदार दिखती है। बृजभूषण शरण सिंह से लेकर स्वामी चिन्मयानंद तक नारी के सम्मान में भाजपा मैदान छोड़ती नजर आती है। ताजा मामला मेरठ का है। इस महीने की शुरुआत में एक भाजपा नेत्री का अश्लील वीडियो वायरल हुआ। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के आदेश पर वीडियो वायरल करने के आरोपी रविंद्र नागर को भावनपुर पुलिस ने बुधवार को उसके सोमदत्त विहार स्थित आवास से धर दबोचा। रविंद्र नागर ने एडिटिंग करके पार्टी की महिला नेत्री का फर्जी अश्लील वीडियो तैयार किया। महिला को बदनाम करने के इरादे से इस वीडियो को पार्षद रविंद्र सिंह को दे दिया। पार्षद रविंद्र ने एक फर्जी आईडी बनाकर वीडियो को सोशल साइट पर वायरल कर दिया। मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इससे पहले नागर बरास्ता हाईकोर्ट खुद पर लगी कुछ धाराएं हटवाने में कामयाब हुआ था। और थाने से ही जमानत भी करा ली लेकिन तभी महिला ने दूसरी शिकायत दर्ज करा दी और नागर फिर धर लिया गया। मगर शाम होते-होते नागर को फिर जमानत मिल गई। यह चमत्कार वैâसे हुआ? उसका जवाब यह तस्वीर है, जिसमें सबसे बाएं रविन्द्र के साथ जज, डीएसपी और पीसीएस ऑफिसर हैं। पार्टी की ओर से भी अभी तक भाजपा के दोनों नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब तो इस पर कार्यकर्ता भी सवाल उठा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)