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झांकी : दगे हुए कारतूस

अजय भट्टाचार्य

आगामी विधानसभा चुनाव में संभावित हार को भांपकर भारत की सबसे ज्यादा झूठ फैलानेवाली पार्टी की हालत इतनी खराब है कि उसे विपक्ष पर आरोप लगाने के लिए भाड़े के टट्टुओं का सहारा लेना पड़ रहा है। पिछले हफ्ते, खासतौर पर ठाणे के राजनीतिक पटल के साथ-साथ मीडिया में काफी उत्साह था, क्योंकि मुंबई के एक पूर्व पुलिस आयुक्त ने लंबे समय के बाद एक इंटरव्यू दिया था। कई लोग यह जानने के लिए उत्सुक थे कि क्या कोई नया नाम / आरोप सामने आएगा, लेकिन आरोप वही पुराने निकले, जो उन्होंने पुलिस बल से बाहर किए जाने के तुरंत बाद लगाए थे। मतलब पहले से ही फुस्स हुए कारतूस को फिर से दागने की कोशिश की गई। यह जानते हुए कि दगे हुए कारतूस कबाड़ में भी नहीं चलते, पूर्व पुलिस आयुक्त को अभी भी उम्मीद है, जो पाप उन्होंने किया है, उसके दाग पहले से मैली राजनीतिक गंगा में धुल जाएगा!
रहस्य सचिव
केवल नौकरशाह ही तबादलों और अच्छी पोस्टिंग का इंतजार नहीं करते हैं, उनके निजी सहायक और सचिव भी अपने बॉस के लिए अनुकूल पोस्टिंग हासिल करने के लिए उत्सुक रहते हैं। चूंकि अधिकांश अधिकारी अपने निजी सहायक (पीए) और निजी सचिव (पीएस) को नई पोस्टिंग पर ले जाते हैं, इसलिए इन सहायकों को अलग-अलग विभागों में काम करने का मौका मिलता है, जिससे उनका करिकुलम विटे (सीवी) यानी बायोडाटा बेहतर होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उनका विश्वास है, जो उन्होंने अर्जित किया है, जिसके कारण उनके बॉस उन्हें अपने साथ रखना चाहते हैं। वैसे नौकरशाही की भाषा में ऐसे ‘विश्वासपात्र सचिवों को ‘रहस्य सचिव’ कहा जाता है। इस श्रेणी के सचिव अपने बॉस के सभी रहस्यों को जानते हैं, इसलिए रहस्यों को बरकरार रखने के लिए उन्हें हमेशा साथ रखा जाता है। गुजरात इस तरह के रहस्य सचिवों का सबसे बड़ा अड्डा है। दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर गृह मंत्रालय तक रहस्य सचिव गुजरात से निर्यात किए गए हैं।

चर्चा यह है कि क्या इसी योग्यता के चलते १९८९ बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी के श्रीनिवास कुछ और वर्षों तक दिल्ली में रहेंगे। पिछले सप्ताह उन्हें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का सचिव नियुक्त किया गया था, इससे पहले वे अल्पसंख्यक मामलों के सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। वे पांच साल से अधिक समय से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं और अब अतिरिक्त वर्षों के लिए दिल्ली में काम करेंगे। ऐसी अफवाहें थीं कि उन्हें वापस उनके राज्य भेजा जा सकता है, लेकिन उन्हें एक महत्वपूर्ण विभाग का प्रबंधन सौंपा गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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