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झांकी : भगवान भरोसे स्कूल

अजय भट्टाचार्य

विकास का गुजरात मॉडल देखना हो तो सरकारी स्कूलों से बेहतर अन्य कोई जगह फिलहाल ठीक नहीं होगी। सरकारी स्कूल में शिक्षकों की गैरमौजूदगी का भंडाफोड़ हो गया है। गुजरात के १७ जिलों में ६३ से ज्यादा शिक्षक लंबी छुट्टी पर हैं और उन्हें हर महीने पूरा वेतन मिल रहा है। ३१ अध्यापक छुट्टी की मंजूरी लिए बिना ही महीनों से स्कूल नहीं आ रहे हैं। गुजरात के ये सरकारी स्कूल भगवान भरोसे चलते हैं। इनकी शिकायत करने वाला भी कोई नहीं है। बनासकांठी की दांता तहसील में एक शिक्षिका ८ साल से स्कूल नहीं पहुंची। खबर है कि वह ८ साल से विदेश में रह रही हैं। मगर अब भी सरकारी स्कूल की शिक्षिका हैं और पूरी सैलरी भी लेती हैं। शिक्षकों की शिकायत के बाद राज्य के शिक्षा विभाग की नींद टूटी है। डीईओ और डीपीओ ने स्कूलों से गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों की सूची तैयार की है। जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अमदाबाद के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले ४ शिक्षक विदेश घूमने गए हैं। इनमें से एक शिक्षक १७७ दिन की छुट्टी पर हैं। अब सवाल यह है कि प्रबंधन ने इतनी लंबी छुट्टी वैâसे मंजूर कर दी? अमदाबाद गांव के सरकारी स्कूलों में ८ से ज्यादा शिक्षक ९० दिन से छुट्टी पर हैं। इनमें ७ शिक्षक विदेश यात्रा पर हैं। सरकारी स्कूलों से शिक्षकों की गैरमौजूदगी के किस्सों ने अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए हैं।

हॉटलाइन कनेक्शन
गुजरात के सेवानिवृत्त और बेहद प्रभावशाली नौकरशाह के. वैâलाशनाथन पुडुचेरी के उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ले चुके हैं। सेवानिवृत्ति के बाद ११ साल तक एक शक्तिशाली पद पर रहने के बाद केके को अब गुजरात से बाहर भेज दिया गया है। हालांकि, वे साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के तौर पर अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे। परियोजना की शुरुआत से ही इससे जुड़े रहने के कारण केके का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से जुड़ाव बरकरार है। तो कौन कहता है कि केके को वाकई गुजरात से बाहर कर दिया गया है? क्योंकि अब केके पुडुचेरी के राजभवन से सीधे हॉटलाइन के जरिए साबरमती से जुड़े हैं। जाहिर है साबरमती लाइन गुजरात के मुख्यमंत्री से भी जुड़ी है। मतलब मोदी ने अपने आंख- कान अब भी गुजरात से दूर नहीं किए हैं। वैâलाशनाथन को पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद सरकार को साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना के लिए किसी दूसरे की तलाश जारी है। केके शुरू से ही इस परियोजना से जुड़े रहे। उन्होंने परियोजना के सलाहकार के साथ मिलकर न केवल इसकी संकल्पना की, बल्कि आश्रम के निवासियों के पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसे पूरा करने के लिए केके सबसे बेहतर विकल्प थे। अब केके की जगह किसी वरिष्ठ व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा। तब तक अमदाबाद नगर निगम आयुक्त को प्रभारी बनाए जाने के लिए कहा जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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