अजय भट्टाचार्य
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में भाजपा के १३२, गद्दार सेना के ५७ और राकांपा (अजीत) के ४१ विधायक हैं। इस हिसाब से राकांपा तीसरे स्थान पर है। लेकिन बजट में उसके मंत्रियों के विभागों को प्राप्त धनराशि चिंदीसेना के मंत्रियों के विभागों को प्राप्त धनराशि से १४,९५७ करोड़ रुपए अधिक है। राज्य मंत्रिमंडल में सर्वाधिक सदस्यों वाली भाजपा मंत्रियों के विभागों को ८९,१२८ करोड़ रुपए, अजीत पवार के मंत्रियों के मंत्रालयों को ५६,५६३ करोड़ और गद्दार सेना के मंत्रियों के विभागों को ४१,६०६ करोड़ रुपए की धनराशि प्राप्त हुई है। जब मविआ की सरकार थी, तब भी वित्तमंत्री रहे अजीत पवार पर एकनाथ शिंदे ने आरोप लगाया कि वे शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए विद्रोह किया, लेकिन अब वही बात फिर से घटित हुई दिख रही है। दादा के खेल में गद्दार सेना ऐसी फंसी है कि मिमिया भी नहीं रही।
लाइन में कुनबा
जिसने भक्त शब्द को गाली बना दिया, जो वेद की किस ऋचा में सबसे पहले राष्ट्र का जिक्र पूछता फिरता था, जो उनके पितृ संगठन को कुपढ़ों का संगठन बता रहा था और जो उर्दू के शराबी शायरों को तुलसी, कबीर के बराबर खड़ा कर यह कहता था कि जो कबीर, नानक बोल गए आज कोई बोल दे तो दंगे हो जाएं। गोदी सरकार पर कट्टर होने का आरोप लगाकर जिसने उनके राष्ट्रवाद को गाली दी, उसे जैसे ही यह पता चला कि उधर कुछ नहीं मिलेगा तो उसने भी गोदी में बैठना उचित समझा। आज का स्वयंभू युगकवि पता नहीं कब थोड़ा फायदा दिखते ही फिर उधर की भाषा बोलने लगे, उसके यहां पूरा कुनबा लाइन लगाकर खड़ा है/था।
लुकाछिपी
तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके और उसकी पूर्व सहयोगी भाजपा के बीच चल रही राजनीतिक लुका-छिपी का खेल अब और आगे बढ़ता नजर आ रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी के उस बयान का परोक्ष रूप से जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि डीएमके पार्टी की एकमात्र प्रतिद्वंद्वी है। अन्नामलाई ने कहा था कि पिछले पांच सालों में अपनी चुनावी हार के लिए भगवा पार्टी को दोषी ठहराने वाले राजनीतिक दल अब उनके साथ गठबंधन करने के लिए उत्सुक हैं। इस पर पलानीस्वामी ने दोहराया कि एआईएडीएमके ने अपनी स्थापना के बाद से चुनावी गठबंधन के लिए कभी किसी पार्टी के समर्थन पर भरोसा नहीं किया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)