अजय भट्टाचार्य
सरपंच हत्या मामले में धनंजय मुंडे का विकेट कभी भी गिर सकता है। बीड के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता और राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे मुश्किल में फंस गए हैं। इस हत्या मामले में वाल्मीक कराड का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है और उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वाल्मीक कराड पर धनंजय मुंडे का करीबी होने का आरोप लगाया जा रहा है। विपक्ष ने मंत्री धनंजय मुंडे के इस्तीफे की पुरजोर मांग की है। साथ ही पुलिस जांच में कथित अनियमितताओं को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। इस बीच, इस हत्याकांड की जांच सीआईडी और विशेष टीम को सौंप दी गई है। खबर यह है कि इस मुद्दे पर अमित शाह ने अजीत पवार को कुछ समझाइश दी है, जिसका नतीजा मुंडे के इस्तीफे के रूप में बाहर आने वाला है।
बगावत का असर
शनिवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा जारी की गई सूची में करावल के वर्तमान विधायक मोहनसिंह बिष्ट का पत्ता काटकर कपिल मिश्र को टिकट थमा दिया। इसके बाद बिष्ट काफी नाराज हो गए थे। वे इस सीट पर १९९८, २००३, २००८, २०१३ और २०२० में जीत हासिल कर चुके हैं। २०१५ में कपिल मिश्रा ने आप की टिकट पर बिष्ट को हराया था। बिष्ट ने १७ जनवरी से पहले करावल नगर सीट से नामांकन दाखिल करने का एलान किया था। बगावत से डरी भाजपा ने अगले दिन जारी तीसरी सूची में बिष्ट को मुस्तफाबाद से प्रत्याशी बना दिया। इस सूची में सिर्फ बिष्ट का ही नाम था।
सुप्रिया का पलटवार
शिर्डी में महाराष्ट्र भाजपा के अधिवेशन के समापन पर अमित शाह द्वारा शरद पवार पर की गई टिप्पणियों पर राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, ‘अपनी सारी सफलता के बावजूद, जब वे महाराष्ट्र आते हैं तो उन्हें सुर्खियों के लिए शरद पवार और उद्धव ठाकरे पर निर्भर रहना पड़ता है।’ उन्हें निश्चित रूप से आलोचना करनी चाहिए। लेकिन साथ ही, अगर उन्होंने इस देश के गृहमंत्री के रूप में सोमनाथ सूर्यवंशी और संतोष देशमुख के परिवारों के बारे में सिर्फ दो शब्द कहे होते तो महाराष्ट्र के लोगों को कुछ समर्थन मिलता। हमने बीड मामले में राजनीति नहीं लाई है और हम इसे इसमें नहीं लाएंगे। पंकजा मुंडे ने कहा है कि सुरेश धस ने बीड को बदनाम करने के लिए राजनीति की, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि यह बीड की बदनामी नहीं है। हम उस प्रवृत्ति के खिलाफ हैं। वाल्मीक कराड की हरकतें राक्षसी हैं।’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)