मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : हुड्डा बनाम एसआरबी

झांकी : हुड्डा बनाम एसआरबी

अजय भट्टाचार्य

हाईकमान की दखल के बावजूद हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। लोकसभा चुनाव के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्ववाले धड़े और एसआरबी (सैलजा, रणदीप, बीरेंद्र) गुट में खींचतान लगातार बढ़ रही है। राज्य में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में उत्साहजनक प्रदर्शन किया है। दोनों गुट अब खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करते हुए पोस्टर जारी कर रहे हैं। ताजा मामला सैलजा गुट के पोस्टर जारी करने को लेकर गर्माया है। इस पोस्टर से सीनियर हुड्डा गायब हैं, जो खुलकर आंतरिक कलह का संकेत देता है। एसआरबी गुट की हुड्डा गुट से बिल्कुल नहीं बन रही है। सैलजा गुट द्वारा जारी पोस्टर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी की तस्वीरें हैं। पोस्टर से पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया और उदय भान का नाम और फोटो गायब हैं। जिन नेताओं ने पोस्टर जारी किया है, उनका कहना है कि सैलजा को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाना / बताना उनकी निजी पसंद है। सीनियर हुड्डा और जूनियर हुड्डा दीपेंद्र सिंह हुड्डा हर इलाके में जाकर भाजपा सरकार से हिसाब मांग रहे हैं।
ऑपरेशन गंगाजल
एक्शन में आई गुजरात सरकार ने पिछले महीने वित्त और अन्य विभागीय कार्यों में कथित अनियमितताओं के लिए लगभग १० प्रथम वर्ग अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। सचिवालय गलियारों ने इस अभ्यास को ‘ऑपरेशन गंगाजल’ नाम दिया है, जिसका उद्देश्य प्रशासन को शुद्ध करना है। हालांकि, इस कदम को बाबुओं ने अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया है, उनका मानना है कि कदाचार में शामिल वर्ग २, ३ और ४ कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। एक निराश शीर्ष अधिकारी ने टिप्पणी की, ‘चूंकि प्रथम वर्ग अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई समाचार बनती है, इसलिए हमें निशाना बनाया जाता है। सरकार अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन अन्य लोग अछूते रह जाते हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। उस अधिकारी का कहना है कि ‘सबका साथ’ लेकिन सजा कुछ लोगों को ही क्यों। सफाई अभियान के इस दौर में राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव मनोज दास ने अपने विभाग की छवि साफ करने का बीड़ा उठाया है, जिसे सबसे भ्रष्ट विभाग माना जाता है। निलंबन और फटकार उनकी रणनीति का हिस्सा है। हाल ही में उन्होंने सभी कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्प्रâेंसिंग कर उन्हें फटकार लगाई। उन्होंने बैठक शनिवार को बुलाई, जो छुट्टी का दिन था, ताकि राज्य को नुकसान न हो। इसकी वजह भी बताना नहीं भूले और बोले, ‘अगर मैं कार्य दिवस पर बैठक बुलाता हूं, तो स्टांप ड्यूटी और अन्य शुल्क में करीब ५० करोड़ रुपए का नुकसान होगा।’ काम में बाधा डाले बिना अपना संदेश पहुंचाने का यह एक स्मार्ट तरीका है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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