मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : यूपी में चिट्ठी का घमासान

झांकी : यूपी में चिट्ठी का घमासान

अजय भट्टाचार्य

लोकसभा चुनाव में हार के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा में जो खींचतान मची हुई है, इसी बीच उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की एक चिट्ठी वायरल हुई थी, जिसमें उन्होंने कार्मिक विभाग से आउटसोर्सिंग पर भर्ती किए गए कर्मचारियों के आंकड़े और आरक्षण के नियम का पालन किए जाने की जानकारी मांगी थी। ये चिट्टी १४ जुलाई को बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के अगले दिन ही लिखी गई थी। चूंकि कार्मिक विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है इसलिए यह चिट्ठी सीधे-सीधे योगी से सवाल करती नजर आई। अब योगी की तरफ से कार्मिक विभाग ने मोर्चा संभाला और मौर्या की चिट्ठी के जवाब में सूचना विभाग की मार्फत चिट्ठी उछाल दी है। इस संबंध में सूचना विभाग ने आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, सूचना विभाग में उनके पास आउटसोर्सिंग द्वारा कुल ६७६ कर्मचारी हायर किए गए हैं। इनमें से ५१२ कर्मचारी आरक्षित कोटे के हैं, जबकि ३४० कर्मचारी ओबीसी वर्ग से आते हैं, जो ७५ फीसद से भी अधिक है। ये तब है, जब अभी तक आउटसोर्सिंग में आरक्षण का नियम नहीं लागू किया गया है। बड़ी बात ये है आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों को शासन स्तर पर भर्ती नहीं किया जाता है, बल्कि इनकी भर्ती सीधे विभाग द्वारा हायर की गई एजेंसियों के द्वारा की जाती है। ये आंकड़े इसलिए भी अहम हो जाते हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था, जो बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण बना। उत्तर प्रदेश में अभी आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण का नियम लागू नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि सूबे में मिली हार के बाद योगी सरकार इसे लेकर जल्द कोई बड़ा पैâसला ले सकती है, जिसके तहत सरकार ने आउटसोर्सिंग के तहत भी भर्तियों में आरक्षण का नियम लागू करने का पैâसला किया है। इसके लिए सरकार के सभी विभागों से जानकारी भी मांगी गई है। लगता है चिठ्ठी-पत्री सत्र लंबा चलेगा।

ऑपरेशन गंगाजल
लोकसभा चुनाव के बाद सक्रिय हुई गुजरात सरकार ने पिछले महीने वित्त और अन्य विभागीय कार्यों में कथित अनियमितताओं के लिए लगभग प्रथम वर्ग के १० अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। सचिवालय के गलियारों ने इस उठापटक को `ऑपरेशन गंगाजल’ नाम दिया है, जिसका उद्देश्य प्रशासन को शुद्ध करना है। हालांकि, इस कदम को बाबुओं ने अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया है, उनका मानना है कि कदाचार में शामिल दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ग के कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। एक निराश शीर्ष अधिकारी की पीड़ा इन शब्दों में सामने आई। चूंकि अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई समाचार बनती है इसलिए हमें निशाना बनाया जाता है। सरकार अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन अन्य लोग अछूते रह जाते हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। `दूसरी तरफ के. वैâलाशनाथन के मुख्यमंत्री दफ्तर से विदा होने ने के बाद कार्यभार दो अधिकारियों के बीच वितरित किया गया है पंकज जोशी और अवंतिका सिंह। तीसरे अधिकारी की नियुक्ति की संभावना बहुत ज्यादा है, क्योंकि दोनों पर कई कामों का बोझ है। कई नामों पर विचार किया जा रहा है, जिनमें सबसे आगे राजीव टोपनो हैं। चर्चा है कि टोपनो की नियुक्ति की जाएगी, क्योंकि केके अब नहीं हैं, हालांकि वे उनकी जगह नहीं ले सकते। टोपनो को प्रधानमंत्री कार्यालय में भी काम करने का लंबा अनुभव है। जहां तक ऑपरेशन गंगाजल की बात है तो गुजरात में पार्टी के विधायक साथी पार्टी सदस्यों या यहां तक कि अपने ही प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाने से नहीं हिचक रहे। नाडियाड के विधायक पंकज देसाई उर्फ ‘गोटिया’, जो विधानसभा में मुख्य सचेतक भी थे, अब मुखर हो गए हैं। उन्होंने गुजरात इनर्जी ट्रांसमिशन कार्पोरेशन (गेटको) को एक पत्र लिखा, जिसने उनके निर्वाचन क्षेत्र नाडियाड में बिजली के तार बिछाने के लिए सड़क खोदी थी। उन्होंने कंपनी से अनुरोध किया कि वह मानसून से पहले सड़क की मरम्मत करे ताकि इसे खतरनाक होने से बचाया जा सके। अब तक उनके इलाके में मरम्मत न होने के पीछे भी भ्रष्टाचार है क्या? एक भाजपा विधायक का कहना है कि गांधीनगर में १० साल बिताने वाले लोग अचानक अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रति संवेदनशील हो गए हैं। उन्हें आखिरकार अपनी आवाज भी मिल गई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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