अजय भट्टाचार्य
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में प्रधानमंत्री मोदी के कारण दुल्हन ने दूल्हे से शादी करने से मना कर दिया। मामला करंडा क्षेत्र निवासी एक गांव का है। सैदपुर क्षेत्र के एक गांव निवासी युवक की शादी बीते ११ जून को करंडा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी युवती से तय थी। छह महीने पहले पूर्व लड़की वालों ने लड़के का तिलक चढ़ाया था। इसके बाद से भावी पति-पत्नी मोबाइल के माध्यम से एक-दूसरे से बातचीत करते थे। ११ जून को बारात पहुंची। रात को शादी सभी रीति-रिवाज के साथ कराई गई। सुबह खिचड़ी की रस्म के दौरान दूल्हे से उसकी सालियों और साले हंसी-मजाक कर रहे थे, तभी एक साली ने उससे देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछ लिया, लेकिन वह प्रधानमंत्री का नाम नहीं बता पाया। यह देखते ही लड़की के परिजन लड़के को हाफ माइंड बताने लगे। लड़के के पिता का आरोप है कि लड़की पक्ष के लोगों ने बड़े लड़के को हाफ माइंड बताते हुए असलहे के दम पर लड़की की शादी छोटे लड़के से करा दी। मेरे छोटे पुत्र की उम्र भी अभी कम है। बावजूद इसके हम लोग डर के मारे उक्त शादी को मान्यता देते हुए बहू को लेकर घर आ गए। अब सैदपुर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मणिपुर सरकार ने विश्वास खोया
प्रधानसेवक अमेरिका प्रवास पर हैं तो जाहिर है गोदी मीडिया उनकी दिग्विजयी गाथाएं परोसने में व्यस्त है। ऐसे में मणिपुर के उन नौ विधायकों की प्रधानसेवक को लिखी चिट्ठी भला किसे दिखाई देगी और उसे पढ़ेगा कौन? जिसे पढ़ना है उसे तो विश्वनेता बनने की सनक सवार है। फिर मणिपुर जले तो जले क्या फर्क पड़ता है। नौ मेइती विधायकों में भाजपा के आठ और मणिपुर सरकार का समर्थन करनेवाले एक निर्दलीय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक ज्ञापन देकर कहा है कि ‘जनता ने वर्तमान राज्य सरकार में पूर्ण विश्वास खो दिया है।’ मतलब भाजपा के एक चौथाई विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर होकर सामने आए हैं। यह सब उसी दिन हुआ जब ३० मेइती विधायकों का एक अलग प्रतिनिधिमंडल – ज्यादातर भाजपा से और एक एनपीपी और जद (यू) से दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मिला था। एक नौ विधायकों में से एक निशिकांत सिंह सपम के अनुसार मणिपुर में हो रहीं अलग-अलग कार्रवाइयां ‘गलतफहमी’ के कारण हुर्इं। नौ विधायकों में करम श्याम सिंह, राधेश्याम सिंह, निशिकांत सिंह सपम, रघुमणि सिंह, एस. ब्रोजेन सिंह, टी. रोबिंद्रो सिंह, एस. राजेन सिंह, एस. केबी देवी और वाई. राधेश्याम के नाम हैं। इनमें से चार विधायकों करम श्याम सिंह, राधेश्याम सिंह, एस ब्रोजन सिंह और रघुमणि सिंह ने अप्रैल में सरकार में विभिन्न प्रशासनिक और सलाहकार पदों से इस्तीफा दे दिया था, जिससे एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले शासन में कलह पैदा होने की अटकलों को बल मिला था।
घर में रिश्ता, बाहर दुश्मनी
बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती की खबर के बीच तेहट्ट ब्लॉक-२ के हांसपुकुरिया ग्राम पंचायत के नतिपोता गांव के चुनावी मुकाबले की जबरदस्त चर्चा है। वहां के १२२ नंबर बूथ के तहत १,४०१ वोटर हैं, जिनके लिए तृणमूल की ओर से बड़ी बहू दीपाली सरदार और भाजपा ने छोटी बहू झरना को उम्मीदवार बनाया है। दीपाली के पति लक्ष्मण सरदार कई सालों से तृणमूल में और झरना का पति तापस सरदार भाजपा में सक्रिय है। सरदार परिवार का कहना है कि दोनों भाई के अलग-अलग पार्टी में होने के बाद भी उनके परिवार में इसको लेकर कोई अशांति नहीं है। पारिवारिक संपर्क अपनी जगह है और राजनीतिक विचारधारा अपनी जगह। दीपाली का कहना है कि पति की इच्छा अनुसार ही वे तृणमूल कार्यकर्ता के रूप में काम करने के बाद अब चुनाव लड़ रही हैं। गांव का विकास ही हमारा उद्देश्य है। दीपाली बीमार सास की देखभाल और आठ साल की बेटी की सारी व्यवस्था और जिम्मेदारियों को पूरा कर दोपहर से ही अपनी चुनावी मुहिम में जुट जाती है। देवरानी झरना को लगता है कि गांव के लोग परिर्वतन चाहते हैं। अत: उसे भरोसा है कि लोग उसे ही यहां जीत दिलाएंगे। भले ही देवरानी, जेठानी चुनावी मैदान में एक-दूसरे को टक्कर दे रही हैं, मगर दोनों का कहना है कि इससे उनके निजी रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा। परिवार में दोनों ही अपनी जिम्मेदारियों के लिए समान रूप से एक-दूसरे की मदद करती आई हैं और करती रहेंगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)