कर्नाटक की चामराजनगर विधानसभा सीट पर मतदान से पहले शुरू हुए खेला में झमेला हो गया। इस निर्वाचन क्षेत्र में अपना नामांकन वापस लेने के लिए जद (एस) के एक उम्मीदवार को कथित रूप से प्रभावित करने के लिए मंत्री वी सोमन्ना के खिलाफ चुनाव आयोग ने एफआईआर दर्ज करवाकर लड़ाई को रोचक बना दिया है। इससे कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया के खिलाफ सोमन्ना की रणनीति को झटका तो लगा ही है, अगर आरोप साबित हो गए तो सोमन्ना की राजनीतिक पार्टी निपट भी सकती है। सोमन्ना, पुराने मैसूर क्षेत्र में चामराजनगर के साथ-साथ वरुणा से भी चुनाव लड़ रहे हैं। नामांकन पत्र वापस लेने की समय सीमा से कुछ घंटे पहले सोमन्ना और जद (एस) के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन स्वामी उर्पâ अलुरु मल्लू के बीच कथित टेलीफोन पर हुई बातचीत का एक ऑडियो क्लिप वायरल हो गया। सोमन्ना पर आरोप है कि उन्होंने मल्लिकार्जुन स्वामी को ५० लाख रुपए नकद देने की पेशकश की और बाद में उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के उड़न दस्ते के प्रमुख डॉ. बीआर जयन्ना ने चामराजनगर टाउन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जयन्ना मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारी हैं। सोमन्ना और उनके दो सहयोगियों – नटराजू और सुदीप पर आईपीसी की धारा १७१ ई और १७१ एफ के तहत मामला दर्ज किया गया था। यदि फास्ट-ट्रैक मोड में दोषी ठहराया जाता है, तो सोमन्ना की उम्मीदवारी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, १९५१ की धारा ८ (१) (ए) के तहत अयोग्य घोषित किया जा सकता है। यदि वह चुनाव के बाद दोषी पाया जाता है, और यदि वे विजयी हुए, तो चुनाव रद्द कर दिया जाएगा।
आनंद मोहन भी ताल ठोकेंगे
रिहाई को लेकर छिड़ी बहस और कानूनी उठा-पटक के बीच आनंद मोहन ने लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। आनंद मोहन ने कहा है कि आदमी का नेचर और सिग्नेचर कभी नहीं बदलता। पॉलिटिक्स मेरे खून में है। यह भी कोई पूछने की बात है कि मैं चुनाव लड़ूंगा या नहीं? जो लोग मुझे जानते हैं उन्हें पता है कि मैं राजनीति करता था और आगे भी करता रहूंगा। हालांकि, आनंद मोहन ने यह नहीं बताया कि वह किस लोकसभा क्षेत्र से २०२४ में चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो दरभंगा प्रमंडल, कोसी प्रमंडल और सीमांचल क्षेत्र अर्थात मिथिला क्षेत्र में आनंद मोहन और उनके परिवार का बोलबाला रहा है। आनंद मोहन कभी शिवहर से सांसद हुआ करते थे। उनकी पत्नी वैशाली से चुनाव जीत चुकी हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि १५ से २० ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां किसी एक पर महागठबंधन के टिकट पर वे चुनाव लड़ सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आनंद मोहन राजद के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं या जदयू के टिकट पर। दूसरी तरफ आनंद मोहन के समर्थकों का मानना है कि आनंद मोहन को राजद-जदयू से अलग होकर अपनी एक पार्टी बनानी चाहिए और फिर से नई शुरुआत करनी चाहिए।
गंगोपाध्याय बोले, प्रणाम
बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुनने के बाद अपनी बेंच में बैठे कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष को प्रणाम किया। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच से अभिषेक मामले को हटाने का आदेश दिया था। उस आदेश के बाद दोपहर करीब ढाई बजे जज कलकत्ता हाई कोर्ट स्थित अपने कोर्ट में बैठे। सबसे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी मांगी। उसके बाद उन्होंने कुणाल का विषय उठाया। जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, ‘मैं कुणाल घोष को सलाम करता हूं। उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वह सच हो गई है। मुझे नहीं पता था कि वह इतने बड़े दूरदर्शी थे। उनकी पूरी बात मान ली गई है।’ दूसरी ओर, कुणाल ने गंगोपाध्याय की बात सुनने के बाद उन्हें सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि मुझे इस पूरे मामले में कोई हार-जीत नहीं दिख रही है। मैं जस्टिस गंगोपाध्याय और सभी जजों का सम्मान करता हूं। लेकिन जब मेरी पार्टी के नेता पर कोई हमला करेगा तो मुझे पार्टी के प्रवक्ता के रूप में अपना कर्तव्य पूरा करना पड़ेगा। जस्टिस गंगोपाध्याय, अभिषेक बनर्जी पर निजी टिप्पणी को लेकर चर्चा में आए थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनुशासनहीनता करार दिया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)