अजय भट्टाचार्य
पिछले हफ्ते गुजरात की तीन दिन की यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में सड़कों की खराब स्थिति पर भूपेंद्र पटेल सरकार की जमकर क्लास लगा दी। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को स्थिति को संतोषजनक ढंग से समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। प्रधानमंत्री ने उन्हें गुणवत्ता पर ध्यान देने की कड़ी चेतावनी दी। मोदी का गुजरात दौरा पूरी तरह से कामकाजी दौरा था। कोई राजनीतिक बैठक निर्धारित नहीं थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से सिर्फ एक बार मुलाकात की और उस बैठक में कोई मंत्री मौजूद नहीं था। अगले दिन मोदी का जन्मदिन था और मंत्री, विधायक और पार्टी नेता उन्हें बधाई देना चाहते थे। मोदी ने निर्देश दिया कि जो लोग उनसे मिलना चाहते हैं, वे एयरपोर्ट पर ही मिलें। ये बैठकें संक्षिप्त थीं, जिसमें सिर्फ अभिवादन शामिल था। कई लोग निराश थे, लेकिन उनके पास मोदी के आदेश का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
गौ प्रेम
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बछड़े के साथ वायरल हुई तस्वीर के बाद, गुजरात के मंत्री कुंवरजी हलपति को गर्व से अपनी गीर गाय और बछड़े के बारे में बात करते हुए सुना गया। हलपति ने बताया कि कैसे उनकी गाय ने हाल ही में एक बछड़े को जन्म दिया है। उन्होंने एक चेतावनी के साथ कहा कि मेरे पास लंबे समय से एक गाय है और यह गीर नस्ल की है – एक अच्छी नस्ल की। अब यह तय करना कठिन है कि हलपति गर्व से बात कर रहे हैं या पूर्वाग्रह से। गनीमत यह है कि हलपति गाय तक ही रहे, गीर के शेर पर बोलते तो गाय और शेर को एक घाट पर पानी पिलाना पड़ता, जो मुश्किल काम होता।
आठवले गारंटी
नितिन गडकरी अपनी साफ बयानी के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं। केंद्र सरकार में शामिल रामदास आठवले महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए १०-१२ सीटें मांग रहे हैं। भाजपा की कृपा से राज्यसभा के रास्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल आठवले का महत्व नितिन गडकरी ने बड़ी बेबाकी से समझाया। किसी ने उनसे पूछा कि क्या चौथी बार भी भाजपा की अगुवाई में केंद्र सरकार बनेगी? गडकरी का जवाब था, ‘दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने की गारंटी भले न दी जा सकती हो लेकिन इस बात की गारंटी है कि आठवले सरकार में मंत्री जरूर बनेंगे।’ समझदार को इशारा काफी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)