मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : कपड़ा उतार विरोध

झांकी : कपड़ा उतार विरोध

अजय भट्टाचार्य

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों प्रगति यात्रा पर हैं। बीते शनिवार बेगूसराय में उन्होंने जीविका दीदियों के साथ बातचीत में कहा कि पहले कोई लड़की कपड़े पहनती थी… अब कितना बढ़िया हो गया है। सब कितना अच्छा कपड़ा पहनती हैं। बोलती कितनी बढ़िया हैं। पहले नहीं बोल पाती थीं। बहुत अच्छा है। जहां भी जाते हैं जीविका दीदी का दर्शन करते हैं। इस दौरान उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी विजय कुमार चौधरी और सम्राट चौधरी इस टिप्पणी से असहज दिखे।
अब बेगूसराय में उनके बयान को लेकर विरोध शुरू हो गया है। दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिलाएं और छात्राएं सड़कों पर उतरी और अपने कपड़े उतार कर (सांकेतिक विरोध प्रदर्शन) नीतीश के पुतले को पहना दिए और नीतीश कुमार का पुतला भी फूंका। महिलाओं के अनुसार नीतीश के आए दिन इस प्रकार के बयान से महिलाएं अपमानित हो रही हैं। वो एक तरफ नारी सम्मान की बात करते हैं तो दूसरी ओर अमर्यादित टिप्पणी कर महिलाओं को अपमानित कर रहे हैं। उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। अब उन्हें इस्तीफा देकर इलाज और आराम करना चाहिए
स्टूडेंट ऑफ द ईयर
कौन कहता है कि मंत्री बनने के बाद लोग सीखना बंद कर देते हैं? गुजरात के प्राथमिक, माध्यमिक और वयस्क शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल पंशेरिया ने प्रतीकात्मक स्कूल वापस जाने का पैâसला किया है – ठीक है। अपने कार्यालय में गीता के श्लोकों का पाठ करने के लिए जाने जाने वाले, पंशेरिया अब वीर नर्मद विश्वविद्यालय से ग्रामीण विकास में पीएचडी करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने राजनीति विज्ञान का अध्ययन किया है, लेकिन ग्रामीण विकास ही उनका दिल है। अब समय आ गया है कि मंत्रीजी किताबें पढ़ें और कुछ गांवों का दौरा करें। डॉ. प्रफुल-इन-द-मेकिंग को शुभकामनाएं!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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