अजय भट्टाचार्य
वैसे तो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) जनता के कार्यों से संबंधित कार्यों, अन्य केंद्रीय व राज्य संबंधी प्रशासनिक कार्यों के बीच समन्वय का काम करने के लिए होता है। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री खुद को प्रधानसेवक कहलाना पसंद करते हैं। जब से प्रधानसेवक ने कारभार संभाला है पीएमओ भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय से भी ऊपरवाला कार्यालय बन गया है। दूसरे शब्दों में इसे भाजपा का सुपर हेडक्वॉर्टर कह सकते हैं। अभी तक केवल भाजपा पदाधिकारियों को ही अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए कार्यों के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को रिपोर्ट करने की आवश्यकता थी। अब केंद्र सरकार के संस्थान भी इस निर्देश से बंधे हैं। पिछले हफ्ते, आईआईटी-गांधीनगर, गति शक्ति विश्व विद्यालय, केवीएस और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की तीन साल की सालगिरह मनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए। इन विश्वविद्यालयों के कुलपति घटनाओं के मीडिया कवरेज के लिए विशेष रूप से उत्सुक थे। अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक अधिकारी ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमें एनईपी के लिए आयोजित किए गए कार्यों के बारे में पीएमओ को रिपोर्ट करने के लिए मजबूर किया गया है। हमारे साथ पार्टी पदाधिकारियों की तरह व्यवहार किया जा रहा है, लेकिन हमारे हाथ बंधे हुए हैं।
नुसरत निशाने पर
तृणमूल सांसद नुसरत जहां पर भाजपा की वक्रदृष्टि पड़ गई है, जिसके तहत भाजपा नेता शंकुदेव पांड ने आर्थिक गैर व्यवहार के आरोप लगाते हुए ईडी की चौखट चूम ली है। उनका आरोप है कि बैंक कर्मियों को फ्लैट देने के नाम पर नुसरत जहां ने करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की है। इस मुद्दे पर मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने नाम लिए बगैर नुसरत जहां पर कटाक्ष किया, ‘उक्त संस्था द्वारा ठगे गए अधिकांश लोग वरिष्ठ नागरिक हैं। हम पहले ही प्रवर्तन निदेशालय से संपर्क कर चुके हैं, ताकि केंद्रीय एजेंसी इस मामले को उठाए। यदि वे ऐसा करते हैं, तो यह अच्छा होगा। अन्यथा हम इन ठगे गए वरिष्ठ नागरिकों को कानूनी सहायता प्रदान करेंगे। इन वरिष्ठ नागरिकों ने आवासीय फ्लैटों के वादे के बदले में भारी रकम का भुगतान किया। वरिष्ठ नागरिकों को धोखा दिया गया और आज तक उन्हें फ्लैट उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इसके बजाय उनके द्वारा भुगतान किए गए पैसे का इस्तेमाल तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य सहित कॉर्पोरेट इकाई के निदेशकों ने अपने स्वयं के फ्लैट खरीदने के लिए किया।’ इसके जवाब में अगले दिन नुसरत जहां ने मोर्चा संभाला और कहा कि मैंने १ मार्च, २०१७ को सेवन सेंस इंप्रâास्ट्रक्चर कंपनी से इस्तीफा दे दिया और तब से मेरा कंपनी से कोई संबंध नहीं है। कंपनी में मेरी कोई हिस्सेदारी नहीं है। मैंने अपना घर खरीदने के लिए कंपनी से १.१६ करोड़ रुपए का ऋण लिया, जिसे मैंने ६ मई, २०१७ को ब्याज (१.४२ करोड़ रुपए) के साथ चुकाया। मेरे बैंक विवरण यह साबित करेंगे। इसलिए यह आरोप गलत है कि मैंने घर खरीदने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया।
नई भर्ती से परेशानी
पुराने रिश्तों को तोड़ने के परिणामों पर विचार किए बिना नए चेहरों को भर्ती करने की भाजपा की हालिया नीति चुनावों में उलटी पड़ सकती है। महाराष्ट्र में गद्दार एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली सरकार में पुराने प्रतिद्वंद्वी अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री के रूप में अचानक आगमन को लेकर बड़ी नाराजगी है। तेलंगाना में, भाजपा आलाकमान के यू-टर्न लेने और केसीआर के साथ तालमेल बिठाने के साथ भाजपा में हाल ही में भर्ती हुए कई दिग्गज निराश होकर वापस अपनी पूर्व पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल में अर्जुन सिंह और मुकुल रॉय जैसे दलबदलू पहले ही भाजपा छोड़ चुके हैं। यहां तक कि भाजपा में शामिल होने के लिए पांच साल की राज्यसभा सीट का त्यागकर अनुभवी सांसद दिनेश त्रिवेदी ने २०२१ में तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, उन्हें लगता है कि उन्हें भी अधर में छोड़ दिया गया है। त्रिवेदी को जिस राज्यसभा सीट का वादा किया गया था, उसकी जगह कूचबिहार के स्वयंभू `महाराज’ और अलगाववादी नेता अनंत राय को दी गई है। भाजपा ने त्रिवेदी को सूचित करने का भी शिष्टाचार नहीं निभाया। राय अपने गृह क्षेत्र में भाजपा के लिए जो भी वोट जीतेंगे, उसका प्रतिउत्तर दक्षिण बंगाल में कई बार मिलेगा, क्योंकि उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की उनकी अलोकप्रिय मांग भाजपा का गणित गड़बड़ा सकती है।