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झांकी : मीठी शुरुआत

अजय भट्टाचार्य

उधार के वादे
राजनीति में जब अपने पास मतदाताओं को देने के लिए कुछ न हो, तब उधार के घोषणापत्र से भी काम चलाया जा सकता है। बहनजी के नेतृत्व वाली पार्टी कभी भी विधानसभा या संसदीय चुनावों के लिए कोई घोषणापत्र या वादों की सूची जारी नहीं करती है। लिहाजा, पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी यही रुख अपना रही है और किसी भी वादे या घोषणापत्र से बच रही है। यह अलग बात है कि चरखी दादरी जिले की दादरी विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार आनंद श्योराण ने बेरोजगारी भत्ता और मुफ्त एलपीजी सिलेंडर समेत छह वादे किए हैं। इस बारे में पूछे जाने पर पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना था कि ये वादे उनकी सहयोगी इनेलो के नौ सूत्री एजेंडे का हिस्सा है। चूंकि बसपा के पास अपना कोई घोषणापत्र नहीं है, इसलिए उसके उम्मीदवार इनेलो के वादों का इस्तेमाल वोटों की अपील के लिए कर रहे हैं। उधार का घोषणापत्र कितना काम करेगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा लेकिन आम जनधारणा यह है कि पर्दे के पीछे रहकर इनेलो और बसपा का संगम करवाकर भाजपा ने दलित और जाट वोटों के विभाजन का दांव खेला है।
मीठी शुरुआत
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में गाय के शुद्ध देशी घी में मिलावट का मामला गरमाया हुआ है और राजनीतिक भक्त समुदाय भ्रमित है कि इसके लिए किसे कोसे। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को किसानों और किसान यूनियन नेताओं के साथ अपनी पहली बैठक की, जिसमें प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें कुछ आश्चर्यजनक उपहार दिए। पता चला है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान मंत्री के लिए गाय का घी और गाय के दूध से बना पेड़ा लेकर आए थे। चौहान ने किसानों से नाश्ता करने का अनुरोध किया, जो कार्यक्रम स्थल पूसा कॉम्प्लेक्स में परोसा जा रहा था। गनीमत यह है कि इस घी में मिलावट की कोई खबर नहीं है।
बार नो बार
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शकधर और सुरेश वैâत क्रमश: हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं। दिल्ली बार एसोसिएशन ने उनके सम्मान में विदाई समारोह आयोजित किया। इस विदाई समारोह में न्यायमूर्ति विकास महाजन ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, क्योंकि उन्होंने अपने साथियों के बगल में बेंच पर बैठने की औपचारिकताओं का पालन करने के बजाय बार के सदस्यों के साथ खड़े होने का विकल्प चुना। उनके इस कदम ने सहायक महाधिवक्ता चेतन शर्मा को मजाक में यह टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया कि न्यायमूर्ति महाजन ‘एक वकील होने की खुशियों को फिर से जी रहे हैं’।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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