अजय भट्टाचार्य
लोकसभा चुनाव बस एक साल दूर है और भाजपा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके चुनावी मोड में आ चुकी है। इस बार लक्ष्य ४०० सीटों पर कड़ा है और नारा है ‘नमो अगेन-२०२४’। गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटील ने राज्य की सभी २६ सीटों पर पांच-पांच लाख मतों के अंतर से जीत का लक्ष्य रखा है। ‘ऊंचा लक्ष्य रखो’ उनका मंत्र है और उन्होंने २०२२ के विधानसभा चुनावों में १८२ में से १५६ सीटें जीतकर इसे साबित भी कर दिया। सूरत में सोमवार को सूरत साड़ी वॉकथॉन का आयोजन किया गया, जिसमें १५,००० से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। पाटील ने मैराथन को हरी झंडी दिखाई और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल इसमें वर्चुअली शामिल हुए। पाटील ने प्रतिभागियों से मोदी को वोट देने की अपील की। इस मौके पर पाटील ने कहा कि भारतीय महिलाओं के पहनावे का समर्थन कर भाजपा भारतीय संस्कृति के लिए खड़ी है। अमदाबाद में मणिनगर निर्वाचन क्षेत्र में एक भाजपा विधायक द्वारा एक रात्रि क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि इसका मकसद पार्टी के जनाधार को मजबूत करना और ४०० सीटों का लक्ष्य हासिल करना है। यह वास्तव में एक लंबा लक्ष्य है, लेकिन जैसा कि वे कहते हैं, ‘मोदी है तो मुमकिन है।’
मोदी को गहलोत ने लपेटा
बुधवार को प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए अजमेर-दिल्ली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई और आदत के अनुसार २०१४ से पहले वाले सभी रेलमंत्रियों को कोसना भी नहीं भूले। कार्यक्रम के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विटर पर एक चिट्ठी चिपकाई, जिसमें लिखा कि मोदी जी, मुझे दुख है कि आज आपने मेरी मौजूदगी में २०१४ से पूर्व के रेलमंत्रीगणों लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवनराम, सरदार स्वर्ण सिंह, गुलजारी लाल नंदा, के. हनुमानथईया, ललित नारायण मिश्र, कमलापति त्रिपाठी, मधु दंडवते, पी.सी. सेठी, बी.ए. गनीखान चौधरी, श्रीमती मोहसिना किदवई, माधवराव सिंधिया, जॉर्ज फर्नांडीस, जनेश्वर मिश्र, सी.के. जाफरशरीफ, रामविलास पासवान, नीतिश कुमार, राम नाईक, सुश्री ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित सभी के कार्यकाल के पैâसलों को भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बोलना दुर्भाग्यपूर्ण है। रेलवे का महत्व कम करने का प्रयास तो आपने अपने कार्यकाल में अलग रेलवे बजट को समाप्त कर किया है। यह कहना उचित नहीं है कि रेलवे में विकास कार्य २०१४ के बाद ही हुए हैं। ध्यान रहे कि जॉर्ज फर्नांडीज, रामविलास पासवान, नीतिश कुमार, राम नाईक गैर कांग्रेसी भाजपा समर्थित या राजग सरकार में रेलमंत्री रहे हैं, जबकि ममता बनर्जी राजग और यूपीए सरकार में रेलमंत्री रहीं।
कर्नाटक भाजपा में बवाल
कर्नाटक में भाजपा के १८९ उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होते ही पार्टी में लंका लगी हुई है। कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं को टिकट नहीं दिए जाने पर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विरोध प्रदर्शन/नारेबाजी की और सड़कों पर टायर जलाए। कुछ ने तो अपने नेताओं के साथ हुए बर्ताव के लिए आंसू भी बहाए। हालत यह है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और एमएलसी लक्ष्मण सावदी ने भाजपा छोड़ने का एलान कर दिया है, जबकि टिकट नहीं मिलने पर पूर्व मंत्री आर. शंकर ने पार्टी और एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया। वे २०१९ में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल होकर एमएलसी बने थे। बेलगावी जिले में बेलहोंगल सीट से पार्टी के टिकट की आस लगाए पूर्व विधायक विश्वनाथ पाटील भी भन्नाए हुए हैं। येदियुरप्पा के खासमखास पाटील ने २०१३ में केजेपी के टिकट पर सीट जीती थी। तुमकुर में पूर्व मंत्री सोगाडू शिवन्ना ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकने की बात कही है। बंगलुरु में पूर्व महापौर और भाजपा नेता कट्टे सत्य बसवनगुडी से पार्टी का टिकट पाने में विफल रहने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। चिकपेट से टिकट से इनकार किए जाने के बाद बीबीएमपी के पूर्व पार्षद एनआर रमेश के अनुयायियों ने विरोध किया। वरुणा और चामराजनगर निर्वाचन क्षेत्रों के लिए आवास मंत्री वी. सोमन्ना को मंजूरी मिलने के बाद, उनके अनुयायियों ने बंगलुरु में उनके घर के सामने विरोध-प्रदर्शन किया और मांग की कि पार्टी उन्हें गोविंदराजनगर से फिर से मैदान में उतारे। उडुपी के विधायक रघुपति भट और पूर्व विधायक अप्पासाहेब पट्टनशेट्टी भी टिकट न मिलने से नाराज हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।