अजय भट्टाचार्य
हमारी सरकार वैâसी है? आप कश्मीर को बदनाम कर रहे हैं, लेकिन कश्मीर में कोई समस्या नहीं है, समस्या हमारी सरकार की सुरक्षा व्यवस्था में है। पहलगाम के पर्यटक स्थल पर एक भी सैन्यकर्मी मौजूद नहीं था, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक थे और वहां कोई चिकित्सा सुविधा भी नहीं थी। वीआईपी को सुरक्षा के लिए काफिले मिलते हैं…क्या करदाताओं के जीवन का कोई मूल्य नहीं है? मुझे बस सरकार से जवाब चाहिए कि वे अब क्या करेंगे। मेरे पति अकेले नहीं मरे हैं, ऐसे और भी बहुत से लोग हैं जो अपने बच्चों के सामने मारे गए। यह सवाल पहलगाम हमले में शहीद बैंककर्मी शैलेश कलथिया की पत्नी शीतल कलथिया ने गुरुवार को अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि देने आए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटील से पूछे। ‘जाति नहीं धर्म पूछा’ अभियान चला रहे गिरोह के पास शीतल के सवालों का जवाब नहीं है।
धागासुर
एक फिल्म में भोजपुरी अभिनेता व सांसद ने धागासुर नामक नेता का किरदार निभाया है। फिल्म के एक दृश्य में एक आदमी उसके पास आता है कि भैया जी मां बहुत बीमार है, धागासुर उसे पैसे देकर मदद करता है। लगा कि हो सकता है अच्छा आदमी है ये। फिर एक आदमी आता है कि भैया बेटी की शादी है, इंतजाम नही हो पा रहा है। भैया जी उसकी शादी के खर्च में पैसे देते हैं। लगा कि नहीं नहीं, अच्छा आदमी है ये। फिर एक आदमी आता है कि भैया बेटे का बड़े इंजीनियरिक कॉलेज में एडमिशन मिल गया है, थोड़े से पैसे कम पड़ रहे हैं। अब धागासुर उसे घूरकर देखता है और कहता है कि पढ़ लिखकर क्या करेगा, उसे कहो कि खेत जोते, हमारा! एक धागासुर आपको सबकुछ दे सकता है, पढते नहीं देख सकता। आपके बच्चों के हाथ में हथियार थमाकर धर्मयुद्ध के बहाने गुंडा बना रहे तथाकथित धर्मरक्षक भी धागासुर से कम नहीं हैं।
हवामहल
२०३६ ओलिंपिक की मेजवानी के लिए गुजरात शासन हर संभव प्रयास कर रहा है व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम और विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के बावजूद स्कूलों में सरकार ने पिछले १५ वर्षों में एक भी खेल शिक्षक की भर्ती न करके न्यूनतम वेतन पर अस्थाई ‘खेल सहायक’ भर्ती किए हैं। ये सहायक पिछले २५ दिनों से स्थाई भर्ती के लिए आंदोलन कर रहे हैं। यह नींव रखे बिना हवा में महल बनाने जैसा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)