अजय भट्टाचार्य
करीब सवा दो साल पहले अप्रैल में बरेली के सुभाष नगर में एक सिपाही के बेटे के साथ बरेली भाजपा उपाध्यक्ष प्रदीप का झगड़ा हो गया था। इस दौरान प्रदीप अग्रवाल ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से फायरिंग कर दी। इस घटना में सिपाही का बेटा हिमेश बुरी तरह घायल हो गया था। मामले पर कार्यवाई करते हुए बरेली के डीएम रविंद्र कुमार ने प्रदीप की बंदूक का लाइसेंस वैंâसिल कर दिया था। घटना के २७ महीने गुजरने के बाद प्रदीप अग्रवाल ने पार्टी से मदद न मिलने पर इस्लाम धर्म अपनाने का एलान कर दिया है। प्रदीप ने वैâमरे के सामने धमकी देते हुए कहा कि अगर पार्टी के सांसद ने उनकी सहायता नहीं की तो वो १५ दिन के भीतर इस्लाम अपना लेंगे। इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने वाले प्रदीप अग्रवाल भाजपा महानगर उपाध्यक्ष हैं। प्रदीप का कहना है कि बरेली के डीएम ने उनका हथियार रखने का लाइसेंस रद्द कर दिया है। ऐसे में जब उन्होंने बरेली सांसद संतोष गंगवार से मदद मांगी तो उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। प्रशासन ने भी उनकी सहायता नहीं की। ऐसे में परेशान होकर प्रदीप अग्रवाल ने इस्लाम धर्म अपनाने की धमकी दे डाली है। प्रदीप अग्रवाल ने सरेआम एलान करते हुए कहा कि १५ दिन के अंदर वो धर्म परिवर्तन कर लेंगे। भारतीय जनता पार्टी में रहकर भी उन्हें सांसद से कोई मदद नहीं मिली। इसलिए वो जल्द ही हमेशा के लिए इस्लाम धर्म अपना लेंगे। प्रदीप अग्रवाल ने फेसबुक पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि पार्टी के सांसद और विधायकों ने मेरा मामला संज्ञान में नहीं लिया। इस घटना से मेरा मन बहुत निराश है। मेरे दुखी मन में विचार आ रहा है कि क्यों न मैं हिंदू धर्म छोड़कर मुसलमान धर्म अपना लूं। मजे की बात यह है कि बरेली से अब संतोष गंगवार सांसद नहीं हैं, बल्कि उनकी जगह भाजपा ने इस बार छत्रपाल गंगवार को उम्मीदवारी दी थी और अब छत्रपाल सांसद हैं।
वीडियो से खलबली
पिछले सप्ताह गुजरात के अंकलेश्वर में कुछ नौकरियों के लिए युवाओं की बड़ी भीड़ दिखाने वाला एक वीडियो वायरल होने के बाद सरकारी अमले में खलबली मच गई और सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई थी। मंत्रियों को इस खबर का खंडन करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, उन्होंने जोर देकर कहा कि रोजगार के मोर्चे पर सब ठीक है। अभी इस वीडियो की तपिश कम भी नहीं हुई थी कि दो दिन बाद, एक समाचार रिपोर्ट वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि सरकार वर्ग ३ और ४ में संविदा प्रणाली को समाप्त करेगी और स्थायी कर्मचारियों की भर्ती करेगी। खबर से सकते में आए मुख्यमंत्री कार्यालय ने तुरंत एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की कि इस तरह की कोई भी बात विचाराधीन नहीं है। सवाल उठा कि क्या आग के बिना धुआं हो सकता है? सूत्रों ने कहा कि वास्तव में, इस मुद्दे पर एक वैâबिनेट बैठक में चर्चा की गई थी और अधिकारियों से उनके विभागों में रिक्तियों की सूची प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। इसी बीच महाराष्ट्र में आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर की भर्ती को लेकर विवाद उठा जिसका असर गुजरात में भी दिखा। पिछला सप्ताह राज्य के नौकरशाहों के लिए कठिन था क्योंकि कई घटनाक्रम हुए। चर्चित पूजा खेडकर घटना के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने सामान्य प्रशासनिक विभाग (कार्मिक प्रभाग) को चार अधिकारियों के दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच करने के लिए कहा। सत्ता के गलियारों में बेचैनी और नौकरशाहों के बीच कानाफूसी बढ़ गई। खबर है कि चार अधिकारी जांच के दायरे में हैं। एक २००७ बैच का, दूसरा २०१३ का और दो २०२२ बैच के। सरकारी दावा है कि उनकी नियुक्ति में अनियमितताओं की संभावना कम है, लेकिन संबद्ध प्रभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हम सिर्फ सुनिश्चित करने के लिए उनके प्रमाणपत्रों की जांच कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति पिछले २-३ वर्षों में ही देखी गई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा
व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)