मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : टिंगरे की टिंगल

झांकी : टिंगरे की टिंगल

अजय भट्टाचार्य

महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति में अंदरूनी कलह पुणे में भी सामने आई है। सोमवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के मुख्य आतिथ्य में जब वडगांव शेरी में ३०० करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया, तो प्रचार सामग्री में गद्दार सेना व सत्ता के मुखिया एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम और चेहरे गायब थे। इस पर भाजपा के पूर्व विधायक जगदीश मुलिक ने वडगांव शेरी के राकांपा विधायक सुनील टिंगरे पर विकास कार्यों का श्रेय गठबंधन सहयोगियों को न देने का आरोप लगाया। टिंगरे और मुलिक के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा किसी से छिपी नहीं है। जून में लोकसभा परिणामों के बाद शहर में मुलिक को भावी विधायक करार देते हुए पोस्टरों से पाट दिया गया था। पहले लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत दावेदार माने जाने वाले मुलिक की भाजपा उम्मीदवारी मुरलीधर मोहोल की ओर मोड़ दी गई, जिनका मुलिक ने सक्रिय रूप से समर्थन किया। अब मुलिक ने विधान सभा सीट को सुरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, जो टिंगरे के लिए एक बड़ी चुनौती है। टिंगरे को कल्याणी नगर पोर्शे घटना को लेकर विवाद का सामना करना पड़ा, जहां उन पर पुलिस कार्रवाई को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया था।

हे अर्जुन, बाण चला!
पिछले हफ्ते गुजरात विधानसभा सत्र के दौरान वरिष्ठ पूर्व कांग्रेस नेता और अब नव-भाजपा विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने खुद को मुश्किल स्थिति में पाया। यह घटना तब हुई जब कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया और मीडिया ने भाजपा के सचेतक बालू शुक्ला को टिप्पणी के लिए घेर लिया। लो-प्रोफाइल नेता शुक्ला शायद ही कभी ऑन एयर बोलते हुए देखे जाते हैं। जब मोढवाडिया सदन में आए तो उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। शुक्ला ने तुरंत उनसे टिप्पणी करने को कहा। मोढवाडिया हैरान रह गए। वहां मौजूद एक वरिष्ठ भाजपा विधायक ने शरारती अंदाज में कहा, ‘अर्जुनभाई, आप अभी-अभी कांग्रेस से आए हैं, इसलिए आप उनके खिलाफ बेहतर बोल पाएंगे,’ और अर्जुनभाई ने मजबूरी में मुस्कुराते हुए उनकी बात मान ली। सत्र में यह उनका पहला काम था।

श्रीमंत बहन योजना
महाराष्ट्र की गद्दार गठबंधन सरकार ने राज्य की उन महिलाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण’ योजना लागू की है जिनकी आय २.५ लाख से कम है। इस योजना से एक करोड़ सात लाख महिलाएं लाभान्वित हुई हैं और उनके बैंक खातों में दो माह में तीन-तीन हजार रुपए जमा किए गए हैं। इसी रविवार को हुई वैâबिनेट बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि गरीब बहनों के साथ-साथ अमीर परिवार की महिलाओं ने भी इस योजना का लाभ उठाया है। खुद राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस योजना से २०-२५ लाख रुपये सालाना आय वाली परिवार की महिलाओं को भी फायदा हुआ है। मतलब चिंदी सरकार की लाडली बहन योजना अब ‘श्रीमंत बहन’ योजना की तरह भी काम करेगी। फिलहाल सत्ता के सभी साझेदारों ने श्रीमंत बहनों से पैसा वापस लेने के मुद्दे पर घनघोर किस्म की चुप्पी साध ली है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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