अजय भट्टाचार्य
बिहार में हर बड़ा नेता यात्रा पर है। तेजस्वी यादव यात्रा पर हैं। नीतीश कुमार यात्रा की योजना बना रहे हैं। पप्पू यादव ने इस महीने के आखिर में यात्रा निकालने का एलान कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर प्रदेश का हर बड़ा नेता यात्रा पर क्यों निकल रहा है। क्या बिहार में विधानसभा के चुनाव समय से पहले होंगे। मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार राजद के साथ न जाने को लेकर जेपी नड्डा के सामने एलान कर चुके हैं। लालू और तेजस्वी भी उनकी वापसी के दरवाजे बंद कर चुके हैं। जदयू प्रदेश कार्यकारिणी को चाक चौबंद करने के बाद नीतीश कुमार रविवार को अचानक जदयू पार्टी कार्यालय पहुंचे थे। सोमवार को पार्टी ने पटना में बैठक की है। चिराग पासवान अभी भले चुप हों, लेकिन आरक्षण से लेकर जाति जनगणना के मुद्दे पर भाजपा से अलग लाइन लेते हुए पार्टी पदाधिकारियों से बात करके चुनावी तैयारियों को अमलीजामा पहना रहे हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा भी २५ सितंबर से यात्रा पर निकलेंगे। राजद ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए रविवार को पटना में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर मार्च किया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। वहीं पार्टी के नेता तेजस्वी यादव पूरे बिहार में घूम-घूमकर कार्यकर्ताओं और समर्थकों से संवाद कर रहे हैं। तेजस्वी यादव का आरोप है कि उनकी सभाओं में सीआईडी और क्राइम ब्रांच के लोगों को भेजकर सरकार उनकी जासूसी करवा रही है।
‘केके युग’ के अंत का एक और संकेत
‘केके युग’ के अंत का एक और संकेत पिछले सप्ताह तब मिला जब मुकेश पुरी को सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल) का एमडी बनाया गया, उन्होंने के वैâलाशनाथन की जगह ली – एक शक्तिशाली नौकरशाह जिसने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी १४ साल तक सीएमओ पर अपना दबदबा बनाए रखा। मोदी के भरोसेमंद सहयोगी वर्तमान में पुडुचेरी के उपराज्यपाल हैं। वह सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल) के प्रबंध निदेशक भी थे। केके, जैसा कि के वैâलाशनाथन उस नाम से जाने जाते हैं, साबरमती आश्रम मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए हैं, जो कि मोदी की प्रिय परियोजना है।
गांधीनगर सुनो…!
भारी बारिश ने गुजरात में सड़कों को नुकसान पहुंचाया है और जनता इसके लिए सत्तारूढ़ पार्टी को दोषी ठहरा रही है। जनता के गुस्से को भांपते हुए, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तुरंत राजमार्गों की मरम्मत का आदेश दिया। मगर बारिश जारी रहने से काम में देरी हुई और लोगों की आलोचना तेज हो गई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने नगर निगम क्षेत्रों के विधायकों को २ करोड़ रुपए आवंटित करने की घोषणा की। इससे एक और विवाद खड़ा हो गया। एक नगर पालिका के भाजपा विधायक की शिकायत है कि हमारे क्षेत्रों में भी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। हमें भी लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ता है। बड़े शहरों के विधायक ही क्यों? हमें भी पार्टी के लिए वोट मिलते हैं। गांधीनगर में कोई सुन रहा है?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)