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झांकी : हनुमान से परेशान

अजय भट्टाचार्य

नागौर लोकसभा सीट पर इस बार आरएलपी के हनुमान बेनीवाल और भाजपा से ज्योति मिर्धा आमने-सामने हैं। हनुमान ने २०१९ में राजग के साथ चुनाव लड़ा था और वह यहां से जीते हुए सांसद हैं। टिकट कटने के बाद उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन किया। कांग्रेस ने भी यह सीट आरएलपी के लिए छोड़ने का एलान कर दिया, जिससे भाजपा की चिंता बढ़ गई है। आंकड़ों पर गौर करें तो २०१९ में हनुमान बेनीवाल ने १,८१,२६० वोटों से जीत प्राप्त की थी। वे इस सीट से मजबूत दावेदार हैं। राजस्‍थान की राजनीति में हनुमान बेनीवाल का कद काफी बढ़ चुका है। इससे पहले वह ४ बार विधायक रहे हैं। २००८ में वह खींवसर सीट से पहली बार विधायक बने थे। अक्‍टूबर २०१८ को उन्होंने अपनी पार्टी `राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी’ बनाई थी। नागौर जाट राजनीति का गढ़ माना जाता है। इस लोकसभा सीट पर जाट, एससी, मुस्लिम, राजपूत और ओबीसी मतदाता ज्यादा हैं। बता दें कि ज्योति मिर्धा के दादा नाथूराम मिर्धा ६ बार सांसद रहे थे। नागौर लोकसभा सीट के अंतर्गत ८ विधानसभा आती हैं। २०१४ में इस सीट पर भाजपा के सीआर चौधरी जीते थे। ज्योति मिर्धा २००९ में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीती थीं, जिसके बाद लगातार २०१४ और २०१९ का लोकसभा चुनाव हार गई थीं। पिछले साल उन्होंने पाला बदला और भाजपा से जुड़ गर्इं।

लालू का खेला
बिहार में पूर्णिया लोकसभा सीट को लेकर खेला फंस गया है। महागठबंधन के अगुआ लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के बाद पप्पू यादव को भी झटका दिया है। बड़े ही तामझाम के साथ कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव की हसरतों पर अब पानी फिरता दिख रहा है। पूर्व मंत्री और जदयू विधायक बीमा भारती ने नीतिश कुमार की पार्टी का दामन छोड़ राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली। चर्चा है कि वे पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। इस खबर के बाद पप्पू यादव की नींद उड़ गई है। माना जा रहा है कि क्या पप्पू यादव के साथ राजद ने खेल खेल दिया है? बीमा भारती के राजद में शामिल होने के बाद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- ‘मर जाएंगे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे, दुनिया छोड़ देंगे, पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे।’ माना जा रहा है कि वे हर हाल में पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। २० मार्च को ही उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कराया था और इस दौरान इनकी एक ही शर्त थी कि पूर्णिया से वे महागठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। कांग्रेस का हाथ थामने से पहले पप्पू यादव ने पटना में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से मुलाकात भी की थी। लालू प्रसाद ने औरंगाबाद सीट से अपने उम्मीदवार अभय कुशवाहा को टिकट दे दिया, जबकि वहां से चुनाव की तैयारी कर रहे पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निखिल कुमार सिंह नाराज हो गए हैं। वे निर्दलीय भी लड़ सकते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस बेगूसराय सीट पर कन्हैया को उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन लालू प्रसाद के कहने पर इस सीट से सीपीआई ने पूर्व विधायक अवधेश राय को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

भाटी फिर बागी
बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सीट से रविंद्र सिंह भाटी आगामी गुरुवार ४ अप्रैल को बतौर निर्दलीय नामांकन दाखिल करेंगे। भाटी इस लोकसभा के अंतर्गत आने वाली शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं। राजस्थान में पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाटी भाजपा में शामिल हुए और भाजपा से शिव विधानसभा से टिकट की मांग ठुकराए जाने के बाद महज १० दिनों में भाजपा छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे। अब लोकसभा चुनाव में भाटी निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा की टेंशन बढ़ सकती है। बीते दिनों तक राजनीतिक गलियारों में भाजपा द्वारा उन्हें बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा सीट से अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाने की अटकलें तेज थी, लेकिन उन्हें टिकट न देकर सांसद और केंद्रीय मंत्री वैâलाश चौधरी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। मंगलवार को रविंद्र सिंह भाटी ने देव दर्शन यात्रा शुरू की। बड़ी संख्या में उनके समर्थक इस यात्रा में पहुंचे। इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी समेत वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ बैठक के बाद भाटी ने सर्व समाज की बैठक के बाद अपने (निर्दलीय) चुनाव मैदान में उतारने का एलान किया। जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी से स्नातक भाटी २०१९ में वह छात्र संघ अध्यक्ष पद पर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते थे। इसके बाद वे लगातार बाड़मेर-जैसलमेर की राजनीति में सक्रिय रहे हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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