अजय भट्टाचार्य
यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के उन्नाव स्थित सदर तहसील के गंगाघाट पुलिस थाने की हैं, जहां एक महिला ने कानूनगो को उसका गिरेबान पकड़कर घसीटा। महिला का आरोप है कि कानूनगो विनोद कुमार ने जमीन नापने की एवज में महिला से ५० हजार रुपए वसूले थे। ५० हजार रुपए लेने के बाद भी घूसखोर कानूनगो ने महिला की जमीन नहीं नापी, बल्कि वादाखिलाफी करते हुए महिला की विरोधी पार्टी से मोटी रकम ली और महिला को ठेंगा दिखा दिया। ५० हजार रुपए की रिश्वतखोरी का यह मामला थाने पहुंचा, जहां कानूनगो को देखते ही महिला ने उसकी धुनाई के मकसद से उसे घसीटा। कोतवाली में मौजूद महिला सिपाहियों ने कानूनगो को छुड़ाया। गंगाघाट कोतवाली इंचार्ज रामफल के अनुसार, महिला कोतवाली की महिला हेल्प डेस्क में यह विवाद हुआ था। महिला को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया गया है। कानूनगो या महिला की तरफ से कोई प्रार्थना पत्र नहीं मिला है।
आया वीडियो, निकला कुंभानी
गुजरात की मीडिया बिरादरी और कुछ कांग्रेस नेताओं को शुक्रवार को अज्ञात स्रोत से एक वीडियो मिला। वीडियो में सूरत से कांग्रेस के पूर्व लोकसभा उम्मीदवार नीलेश कुंभानी को दिखाया गया है, जिनका नामांकन गवाहों के हस्ताक्षर के कारण खारिज हो गया था और जो एक सप्ताह पहले लापता हो गए थे। पांच मिनट के वीडियो में उन्होंने कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस से जुड़े रहेंगे और अपना पर्चा खारिज होने के खिलाफ हाई कोर्ट जाना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस नेता उनका समर्थन नहीं कर रहे हैं। हम बस इतना ही कह सकते हैं: राजनीति संभावनाओं का खेल है। यह वीडियो तब आया, जब कांग्रेस ने नीलेश कुंभानी पर लोकसभा चुनाव में भाजपा से मिलीभगत करने का आरोप लगाते हुए उन्हें छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। कांग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति ने इस मामले पर सभी तथ्य एकत्रित किए। जिसके बाद समिति की बैठक हुई, बैठक में नीलेश को मामले में लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया। समिति ने कहा कि २१ अप्रैल को जब कुंभानी का नामांकन रद्द हुआ। उन्होंने लापरवाही बरती और अंदरखाते भाजपा का साथ दिया। वे पूरे घटनाक्रम के बाद से कांग्रेस के संपर्क में भी नहीं हैं। अपना निर्णय लेने से पहले समिति ने नीलेश को अपना पक्ष रखने का मौका दिया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। अलबत्ता संपर्क से बाहर कुंभानी का वीडियो अब सबके संपर्क में है।
मताधिकार चाहिए
ऑस्ट्रेलिया में सेवारत एक भारतीय डॉक्टर ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर भारत के चुनाव आयोग को अपने मतदान के अधिकार को बहाल करने का निर्देश देने की मांग की है। यह याचिका कोयंबटूर के नंजुंदापुरम के आर सुथनथिरा कन्नन ने दायर की है। उन्होंने कहा कि वे अपने `मौलिक कर्तव्य’ को पूरा करने के लिए अपना वोट डालने के लिए १३ अप्रैल को भारत आए थे। वे यह देखकर हैरान रह गए कि उनका और उनकी पत्नी का नाम मतदाता सूची से गायब था, लेकिन उनकी बेटी का नाम, जो उसी पते पर रहती है, मौजूद था। उन्होंने आयोग के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज की और इसे विधिवत स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके आस-पास रहने वाले कई लोग, जो पिछले चुनावों में वोट डाल रहे थे, उनके भी नाम मतदाता सूची से गायब हैं। यह उनकी गलती के कारण नहीं, बल्कि अधिकारियों द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए नामावली तैयार करने के मनमाने और अकुशल तरीके के कारण है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि जो मतदाता छूट गए थे, उनके नाम सूची में शामिल कर वोट डालने का अवसर दिया जाए। उन्होंने इन मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति मिलने तक वोटों की गिनती स्थगित करने का निर्देश देने की भी मांग की है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)