मुख्यपृष्ठस्तंभझांकी : योगी अब भी भारी

झांकी : योगी अब भी भारी

अजय भट्टाचार्य

उत्तर प्रदेश भाजपा में केशव प्रसाद मौर्या सरकार और संगठन के नाम पर मोर्चा खोलकर भी अधर में लटके हैं। दूसरी तरफ पहली बाजी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मार ले गए। कारण यह है कि अभी तक उत्तर प्रदेश में योगी का विकल्प खोजने पर मंथन नहीं हुआ है। प्रदेश संगठन में और योगी मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। मंत्रिमंडल और सरकार में बदलाव का फैसला विधानसभा उपचुनाव नतीजों के बाद होगा। उपचुनाव में भाजपा कम से कम सात सीटें जीतने को लेकर मंथन कर रही है। इन दिनों भाजपा आलाकमान अलग-अलग नेताओं से मिलकर लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर फीडबैक ले रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय नेतृत्व ने केशव मौर्य और उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ मुलाकात करके फीडबैक लिया है। दोनों नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ हुई अलग-अलग मुलाकात में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और प्रशासन के रवैये को लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया। पार्टी की समीक्षा रिपोर्ट में भी हार का ठीकरा प्रशासन के सिर यह कहकर फोड़ा गया है कि ‘प्रशासन की कार्यशैली से कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई और इसके चलते चुनाव में कार्यकर्ता सक्रिय नहीं दिखे। साथ ही प्रशासन ने मतदाताओं के नाम भी मतदाता सूची से काटे हैं। चुनाव में प्रशासन ने कोई मदद नहीं की और पार्टी के खिलाफ काम किया। एक खास पैटर्न पर भाजपा का वोट हर सीट पर कम किया गया। लोकसभा चुनाव के बाद से ही उत्तर प्रदेश भाजपा में जुबानी जंग जारी है। केशव प्रसाद मौर्या का लगातार बयानबाजी करना आलाकमान के लिए चिंता का सबब बन गया है, क्योंकि आने वाले दिनों में १० सीटों पर उपचुनाव होने हैं और उनके परिणाम के बाद राज्य सरकार और संगठन में बदलाव की रूपरेखा तय होगी।
सुवेंदु का बयान
हरियाणा का ध्यान
बंगाल भाजपा के मंच से आया बयान भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन भाजपा का ही एक वर्ग सुवेंदु अधिकारी के बयान को पार्टी के लिए नुकसानदेह भी मानता है। सुवेंदु के बयान से एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुस्लिम आरक्षण का जिक्र छेड़कर हरियाणा की हिंदू आबादी को डराने की कोशिश की। साथ ही यह भी ताल ठोंकी कि वो हरियाणा में मुस्लिम आरक्षण लागू नहीं होने देंगे, लेकिन अगर कांग्रेस आ गई तो वो कर्नाटक की तरह मुस्लिम आरक्षण लागू कर देगी, जबकि हरियाणा में मुस्लिम आबादी महज ७.२ फीसदी है और राज्य में हिंदुओं की कुल आबादी ८७.४६ फीसदी है। राज्य की कुल २.५४ करोड़ की आबादी में मुस्लिम आबादी १७ लाख ८१ हजार है। अगर हरियाणा के २१ जिलों में मेवात जिले को छोड़कर २० जिले हिंदू बाहुल्य जिले हैं। महाराष्ट्र और झारखंड भी विधानसभा चुनाव के मुहाने पर हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में ११.५३ फीसदी और झारखंड में १४.५० फीसदी आबादी मुस्लिम है। सुवेंदु अधिकारी का बयान इन दोनों ही राज्यों में पार्टी को नुकसान देने वाला है। हरियाणा में जाट २२ प्रतिशत, दलित २१ प्रतिशत, ओबीसी ३० प्रतिशत, ब्राह्मण ८ प्रतिशत, वैश्य ५ प्रतिशत, पंजाबी ८ प्रतिशत आबादी है। जाट बनाम ओबीसी करके भाजपा वहां बढ़त लेना चाहती है, मगर लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा की परेशानी का सबब हैं। लोकसभा चुनाव के बाद बंगाल विधानसभा उपचुनाव में भी मुंह की खाने के बाद सुवेंदु अधिकारी का विवादित बयान खुद बंगाल भाजपा को भी हजम नहीं हो रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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