कविता श्रीवास्तव
बीते कुछ वर्षों से गाली-गलौज, अश्लीलता और यौनाचार से संबंधित गंदी बातें सोशल प्लेटफॉर्म पर खूब चली हैं। लोगों के मनोरंजन के लिए ऐसी गंदगी परोसकर ओटीटी जैसे प्लेटफॉर्म्स केवल अकूत धन ही नहीं कमा रहे हैं, वे पूरी पीढ़ी को खराब भी कर रहे हैं। ओटीटी और सोशल मीडिया पर आने वाली गंदी सामग्री, उनकी वेबसीरीज आदि केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खुल्लम-खुल्ला लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं। इन्हें बच्चे भी अपने मोबाइल पर देख रहे हैं। यह चलन हमारे संस्कारों, हमारी सामाजिक मर्यादाओं और लोक-लाज के सिद्धांतों को समाप्त करता जा रहा है। इस संबंध में देर से ही सही लेकिन हमारे सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अब जाकर सख्त कदम उठाया है। सरकार की पहल पर १८ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, १९ वेबसाइटें और १० एप्स प्रतिबंधित किए गए हैं। इन्हें ब्लॉक किया जा रहा है। ये कार्रवाई सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत की गई है। अन्य मंत्रालयों और नियम-कानून के सहयोग से यह कार्रवाई की गई है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लोग वेब सीरीज, डॉक्यूमेंटरी एवं जो भी कंटेंट देखते हैं वे ज्यादातर ओरीजिनल होते हैं। वे अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध नहीं होते हैं। कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐसे हैं, जो खुद के कंटेंट या सीरीज बनाते हैं। इनमें अमेजन प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म शामिल हैं। ओटीटी का फुल फॉर्म ‘ओवर द टॉप’ होता है। यह अन्य प्लेटफॉर्म्स की मदद से मोबाइल पर ही वेबसीरीज, फिल्में, और सीरियल्स उपलब्ध करा देता है। कोरोना महामारी में डिजिटल वर्ल्ड में गजब की क्रांति हुई। शहर से गांव तक ओटीटी प्लेटफॉर्म का चलन बढ़ा। लेकिन इन पर अश्लीलता, गाली-गलौज और सामाजिक गंदगी भी खूब परोसी जा रही है। अभिव्यक्ति की आड़ में अश्लीलता परोसने और कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग के लिए इन प्लेटफॉर्मों को जिम्मेदार ठहराया गया है। प्रतिबंधित प्लेटफॉर्मों की सूची में ड्रीम्स फिल्म्स, वूवी, येस्मा, अनकट अड्डा और अन्य शामिल हैं, जो नग्नता, यौन कृत्यों और महिलाओं को लेकर अपमानजनक चित्रण को दर्शाने वाली सामग्री की मेजबानी करते पाए गए हैं। इन्हीं अश्लीलताओं ने ओटीटी को लोकप्रिय बना रखा है। इनकी अश्लील बेबसीरीज से बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग सभी प्रभावित हो रहे हैं। इन पर कोई सेंसर ही नहीं है। देश में आम प्रदर्शन के लिए फिल्मों, टीवी सीरियल्स आदि के लिए सेंसरशिप व शर्तें हैं। सामाजिक द्वेष, अश्लीलता, नग्नता या सामाजिक बुराई जैसी सामग्री आम प्रदर्शन के लिए नहीं लायी जा सकती हैं लेकिन ये आधुनिक प्लेटफॉर्म्स इन व्यवस्थाओं में नहीं आते हैं। उन्हें रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। अब सरकार के संबंधित मंत्रालयों-विभागों तथा महिला व बाल अधिकार क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, २००० के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है। उम्मीद है कि सोशल प्लेटफॉर्म्स इससे कुछ सबक जरूर लेंगे।