मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : कुश्ती से पस्त होती भाजपा

तड़का : कुश्ती से पस्त होती भाजपा

कविता श्रीवास्तव
हरियाणा विधानसभा चुनाव इन दिनों राजनीति से ज्यादा कुश्ती का अखाड़ा बना हुआ है। वहां कांग्रेस और बीजेपी की नूरा कुश्ती जैसा वातावरण बन गया है। हाल ही में पेरिस ओलिंपिक में मेडल से चूकी महिला पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के कांग्रेस में शामिल होते ही हरियाणा की राजनीति कुश्ती के अखाड़े में तब्दील हो गई है। विनेश की चचेरी बहन महिला पहलवान बबीता फोगाट पहले से राजनीति में है। वह वर्ष २०१९ में ही भाजपा में शामिल हो गई थीं। हालांकि, वर्तमान चुनाव में उन्हें भाजपा से उम्मीदवारी नहीं मिली है लेकिन उनके बाद राजनीति में कदम रखने वाली विनेश फोगाट को कांग्रेस ने विधानसभा का टिकट देकर उम्मीदवार बनाया है। इसी से खलबली मची हुई है। बबीता फोगाट ने फोगाट परिवार में फूट डालने का ठीकरा कांग्रेसी नेता भूपेंद्र हुड्डा के सिर फोड़ा है। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से लीड ले रहे भूपेंद्र हुड्डा वैसे भी भाजपा व उनके समर्थकों के निशाने पर हैं। फिलहाल, हरियाणा में भाजपा सत्ताधारी पार्टी है लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की मजबूती से भाजपा की स्थिति कुछ ढीली है। हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब और नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सत्ता है। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस देशभर में अच्छा प्रदर्शन करके भाजपा को चौंका चुकी है इसलिए हरियाणा की सियासी जमीन पर हो रही राजनीतिक उठक की नूरा कुश्ती बहुत रोचक बन गई है। हरियाणा में किसानों का भी अच्छा खासा दबदबा है। किसान आंदोलन में हरियाणा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और केंद्र की नीतियों से किसान खासे नाराज बताए जाते हैं, इसलिए हरियाणा विधानसभा के इस चुनाव में सत्ता को बचाए रखना भाजपा के लिए तगड़ी चुनौती है। हरियाणा में इस बार पांच बड़े राजनीतिक दल चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस और बीजेपी के अलावा जेजेपी, आईएनएलडी और आम आदमी पार्टी भी इस चुनावी मैदान में है। इनमें भाजपा इतने फूंक-फूंककर कदम रख रही है कि उसने अपनी दूसरी लिस्ट में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है। वर्ष २०१९ से तुलना करें तो हरियाणा लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट भी ५८ प्रतिशत से घटकर ४६ प्रतिशत हो गया है। इसी कारण कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव आसान नहीं है। लगातार दस साल से सत्ता में रहने के कारण बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी बताई जाती है। ये चुनाव किसान आंदोलन के बाद हो रहे हैं। किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी के रुख की आलोचना होती रही है। हरियाणा से खेल और सेनाओं में जाने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है। सेना की अग्निवीर योजना को लेकर कांग्रेस लगातार आक्रामक है। सरकार ने उसमें कुछ बदलाव भी किए हैं, ताकि चुनाव में होने वाले संभावित नुकसान को कुछ कम किया जा सके। बीते साल दिल्ली के जंतर-मंतर पर हरियाणा के पहलवानों ने भी बीजेपी के तत्कालीन दबंग सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दिया था। पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया अब जब कांग्रेस में हैं और कई नेता भाजपा का साथ छोड़ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए यह चुनाव आसान नहीं है।

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