मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : साइबर क्राइम रोकेंगे कॉलेज विद्यार्थी

तड़का : साइबर क्राइम रोकेंगे कॉलेज विद्यार्थी

कविता श्रीवास्तव

साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए आम लोगों में व्यापक जागरूकता पैâलाने की अनेक कोशिशें हो रही हैं। इसके बावजूद कई पढ़े-लिखे और होशियार लोग भी इसके झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गवां रहे हैं। लोगों को इस ठगी और जालसाजी से बचाने की सख्त जरूरत है। इसीलिए अब स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को साइबर ठगी से बचने के उपाय पर गहन शिक्षा देने की जरूरत महसूस की जा रही है। बांद्रा के एक कॉलेज ने अपने विद्यार्थियों के लिए साइबर वैलनेस सेंटर स्थापित करने की तैयारी की है। वहां विद्यार्थी साइबर क्राइम से बचने और उसकी रिपोर्ट करने की शिक्षा भी हासिल करेंगे। इन दिनों आर्थिक अपराध के साथ साइबर अपराध, ऑनलाइन फ्राॅड के नए-नए किस्से रोज ही सुनने में आ रहे हैं। लोगों को अपनी गाढ़ी कमाई के रुपए बचाए रखने और संभालने के पुख्ता इंतजाम करने के लिए चिंतित होना पड़ रहा है। हमारी पुलिस और तमाम जांच एजेंसियां लोगों को साइबर क्राइम और साइबर अटैक जैसे खतरों से आगाह करती हैं। उनसे बचने के उपाय के प्रति जागरूक करने की कोशिशें करती रहती हैं, लेकिन फिर भी हम रोज ऐसे किस्से सुन रहे हैं। एक ताजा खबर पढ़ी कि एक छात्रा को उसके साढ़े तीन करोड़ रुपए के कथित बैंक ट्रांजेक्शन पर जीएसटी की नोटिस भेजी गई है, जबकि उस छात्र ने ऐसे किसी बैंक अकाउंट होने से अनभिज्ञता जताई है। दरअसल, जालसाजों ने उसके आधार और पैन कार्ड की जानकारी चुराकर फर्जी खाता खोलकर जालसाजी का कारोबार किया। छात्रा ने पुलिस में शिकायत की और जालसाज पकड़े गए हैं। उन ठगों ने तमाम बैंकों के क्रेडिट कार्ड हासिल करके रकम इकट्ठा कर ली थी। ऐसे में हमें अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड की डिटेल्स भी सबके साथ शेयर नहीं करना चाहिए। अपने आधार कार्ड से लिंक मोबाइल, बैंक अकाउंट आदि की लगातार जांच करते रहना चाहिए। हमारे हाथ में जो मोबाइल है वो हमारी सुविधाओं के लिए है। हमारे कई कामों को वह सरल बनता है, लेकिन इसी मोबाइल से जुड़े लिंक हमें परेशान करने के लिए काफी हैं। इसलिए हमारी मुट्ठी में थमे इस मोबाइल पर बहुत ही सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता है। हालांकि, यह सावधानी बरतना भोले-भाले और अनजान लोगों के लिए सरल नहीं है। इसीलिए अब स्कूलों-कॉलेजों में बच्चों को साइबर ठगी से जुड़ी जानकारी की पढ़ाई कराने पर भी विचार किया जा रहा है। इसे एक विषय के रूप में पढ़ाया जाना समय की आवश्यकता है। इससे साइबर अटैक, साइबर अरेस्ट, ऑनलाइन जालसाजी आदि से बचने की जागरूकता फैलेगी और समाज के लिए यह बहुत ही उपयोगी होगा। जब विद्यार्थी सर्टिफाइड साइबर क्राइम इंटरवेंशन ऑफिसर बनकर तैयार होंगे तो निश्चित ही साइबर क्राइम की हरकतों पर अंकुश लगाने के तगड़े इंतजाम होंगे।

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