मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : ईबी भी देखे ईडी

तड़का : ईबी भी देखे ईडी

कविता श्रीवास्तव

अरविंद केजरीवाल को ऐन चुनाव के मौके पर सलाखों के पीछे किया गया है। हाल के दिनों में हिरासत में लिए गए वे दूसरे मुख्यमंत्री हैं। उनसे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन को भी बंद किया गया है। उधर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रहे परिवार की के. कविता भी हिरासत में हैं। ये सभी विरोधी दलों से हैं। ठीक चुनावों के अवसर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की धड़ाधड़ कार्रवाई में विपक्ष के कई नेताओं पर शिकंजा कसा गया है। इन पर शराब घोटाले के आरोप लगे हैं। कथित शराब घोटाले का सच क्या है यह तो बाद में स्पष्ट होगा ही, लेकिन इसी बीच इलेक्टोरल बॉन्ड (ईबी) भी खूब विवादों में आया है। ईबी के जरिए सत्ताधारी भाजपा को हजारों करोड़ रुपए मिले हैं। विपक्ष ने इसे धन वसूली का गंभीर मामला बताया है। भाजपा को कई विवादित लोगों से ईबी के जरिए भारी धन प्राप्त हुआ है। इसी पर शंकाएं जताई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा ने भी कथित शराब कांड से जुड़े लोगों से ईबी के जरिए रकम ली है। अब विपक्ष इसकी जांच की मांग उठा रहा है। ईबी के माध्यम से किसने, किससे, कितना धन लिया यह सच्चाई अदालती सख्ती के बाद ही सबके सामने आई है। इसमें भाजपा का नाम शीर्ष पर है। ईबी खरीदने के समय और परिस्थितियों को लेकर बहुत से संदेह उभरे हैं। मांग उठी है कि इसका सच पता लगाने के लिए ईडी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स (ईबी) की जांच भी करनी चाहिए, क्योंकि वह प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लांड्रिंग एक्ट २००२ के तहत मामले दर्ज करती है। अधिकतर नेताओं पर उसने इसी कानून के तहत मामले दर्ज किए हैं। ईडी देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी है और वह वित्तीय अनियमितताओं की जांच करती है। इसी तरह आयकर विभाग, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियां भी हमारे देश के हित में काम करती हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों से विपक्ष के नेताओं का सतत आरोप है कि इन एजंसियों का इस्तेमाल केवल विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए हो रहा है। इस पर धरने-प्रदर्शन भी हो रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि जो लोग भाजपा से हाथ मिला लेते हैं तो उनके मामले शांत हो जाते हैं। विपक्ष के ये आरोप गंभीर हैं, क्योंकि ईडी की अधिकांश कार्रवाई विपक्षी नेताओं पर ही हुई है। अब ये भी कहा जा रहा है कि सत्ता पाकर सत्ता का नशा चढ़ जाता है तो तानाशाही हावी होने लगती है। लोकतंत्र समाप्त होने लगता है। इधर देश आम चुनावी माहौल के बीच आजकल होली के रंग में डूबा है। कहीं रंगों का नशा छाया है तो कहीं चुनावी रंग हावी है। कहीं सत्ता का नशा है और राजनीति का खेल है, तो किसी को जेल है।

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