कविता श्रीवास्तव
युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने बांग्लादेश के खिलाफ क्रिकेट मैच नहीं खेलने की जो आवाज उठाई है, वह हमारे राष्ट्र स्वाभिमान से जुड़ा एक गंभीर मसला है। पड़ोसी राज्य बांग्लादेश में बीते दिनों सत्तापलट हुआ। वहां की प्रधानमंत्री रही शेख हसीना को भारत की शरण लेनी पड़ी। बांग्लादेश में उसके बाद से ही हिंदुओं पर अत्याचार होने की खबरें लगातार सुनी गई हैं। सोशल मीडिया सहित तमाम टीवी चैनलों ने दिखाया कि किस तरह वहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। हिंदू धार्मिक स्थलों पर तोड़-फोड़ मचाई जा रही है। चुन-चुन कर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इन खबरों की सत्यता भी जांची जानी चाहिए। हम जानते हैं कि बांग्लादेश मूलत: पूर्वी पाकिस्तान से अलग हुआ एक टुकड़ा है। उसे बाद में देश का दर्जा मिला। उसे फलता-फूलता देश बनाने में भारत ने हर तरह से मदद ही की है, लेकिन वहां भी पाकिस्तान और म्यांमार से आए हुए विदेशियों ने ऐसी हवा पैâलाई कि अब वहां के मूल बंगाली हिंदुओं का रहना भी मुश्किल होने लगा है। यदि खबरों पर विश्वास करें तो इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का बड़ा हाथ बताया जाता है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत को बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं के प्रति संवेदना जरूर रखनी चाहिए। इसी बात को लेकर आदित्य ठाकरे ने बांग्लादेश के साथ हो रहे क्रिकेट टूर्नामेंट को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया और भारत सरकार ने बांग्लादेश क्रिकेट के लिए जो रेड कार्पेट बिछाया है वह तब तक रोका जाना चाहिए जब तक कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार नहीं रुकता है। आदित्य ठाकरे ने दौरे की अनुमति देने के पैâसले पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘बांग्लादेश की क्रिकेट टीम भारत दौरे पर है और बीसीसीआई उनके लिए लाल कालीन बिछा रहा है। मैं विदेश मंत्रालय से जानना चाहता हूं कि क्या सोशल मीडिया और कुछ मीडिया आउटलेट्स पर हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें सच हैं। और अगर ये खबरें सही हैं, तो केंद्र सरकार पर उनके दौरे की अनुमति देने का दबाव कौन बना रहा है?’ उल्लेखनीय है कि देश और राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख माननीय बालासाहेब ठाकरे ने भी पाकिस्तान का मैच कभी भी मुंबई में होने नहीं दिया। वानखेड़े में जब उनके साथ मैच की तैयारी हो रही थी तब शिशिर शिंदे के नेतृत्व में वानखेड़े स्टेडियम की पिच ही खोद दी गई थी। तब से पाकिस्तान का मैच भारत में खेलने की कभी अनुमति नहीं दी गई। २०१५ में भी शिवसेना ने पाकिस्तान के साथ मैच पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। ताजा संदर्भ में बांग्लादेशियों को भूलना नहीं चाहिए कि १९७१ में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उद्भव हुआ। हालांकि, बांग्लादेश का इतिहास अस्थिरता से परिपूर्ण रहा है। वहां अब तक १३ राष्ट्रशासक बदले गए और ४ सैन्य बगावतें हुर्इं, लेकिन यह पहला मौका है जब वहां हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें आ रही हैं। ऐसे में भारत को सख्त कदम उठाना चाहिए।