मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : कितने आंसू बहेंगे?

तड़का : कितने आंसू बहेंगे?

कविता श्रीवास्तव

आतंकवादियों का सामना करते हुए भारतीय सेना के शहीद हुए २७ वर्षीय युवा लांस नायक प्रदीप नैन का सोमवार को हरियाणा के जींद में अंतिम संस्कार हुआ। पांच महीने की गर्भवती उनकी पत्नी मनीषा ने अत्यंत ही आहत मन से बहते आंसुओं के बीच अंतिम सलामी के लिए जब भारी बोझ की तरह अपना हाथ उठाया तो वहां उपस्थित हजारों लोगों की आंखें नम हो गर्इं। अत्यंत दु:खद बात यह है कि उसी दिन जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकवादियों ने घात लगाकर हमारी सेना के पांच और जवानों की जान ले ली। बीते कुछ महीनों में कश्मीर में आतंकवादियों ने लगातार हमले करके कई जवानों को शिकार बनाया है। कश्मीर में शांति बहाल होने, स्थितियां सामान्य होने, धारा ३७० हटाए जाने की सफलता पाने और तमाम प्रयत्नों के बाद भी हम देख रहे हैं कि वहां आतंकवाद फिर से सिर उठा रहा है। हमारे सैनिकों पर हमले हो रहे हैं। सोमवार को आतंकियों ने जिस तरह विस्फोटों और आधुनिक हथियारों से लैस होकर समूह बनाकर तथा घात लगाकर हमला किया वह आतंकवाद की बड़ी योजना का संकेत देता है। कश्मीर में अनेक ठिकानों पर आतंकवादियों से मुठभेड़ होना उनकी भारी सक्रियता का प्रमाण है। इससे हमारी खुफिया जानकारियों की कमी और सीमाओं पर हमारी ढिलाई भी साफ नजर आती है। पाकिस्तान से आतंकवादियों की घुसपैठ होना भारी चिंता का विषय है। आतंकवादी हरकतों का सफल होना स्थानीय सहयोग के बगैर संभव नहीं है। केवल पाकिस्तान को दोषी ठहराना पर्याप्त नहीं है। कश्मीर में आतंकवादी मौजूद होने से जाहिर है कि कुछ स्थानीय लोग उन्हें सहयोग कर रहे हैं। आतंकवाद के मसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का बयान भी सही है कि पाकिस्तान की अपनी हालत अत्यंत खराब है और वह भारत में आतंकवादी भेजकर कोई कामयाबी नहीं पा सकता। जब तक आतंकवाद नहीं रुकेगा, बातचीत संभव नहीं है। आतंकवाद से भारत के साथ ही पाकिस्तान का भी नुकसान ही होना है। हम सब जानते हैं कि विभाजन के बाद कश्मीर रियासत का भारत में विलय हो गया, परंतु पाकिस्तान ने यह स्वीकार नहीं किया। सामरिक और सैन्य दृष्टिकोण से कश्मीर के महत्व को देखते हुए पाकिस्तान इसे अपना बनाने का प्रयास करता रहा है। २६ अक्टूबर १९४७ को महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान समर्थित सेनाओं से युद्ध करने के लिए भारतीय सेना को कश्मीर में एयरलिफ्ट करने के बदले में जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय किया। १९४७ में हस्ताक्षरित विलय पत्र के आधार पर भारत का संपूर्ण तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय रियासत जम्मू और कश्मीर पर अधिकार है। पाकिस्तान मुस्लिम बहुल आबादी के आधार पर इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है। उधर चीन हमेशा ही अक्साई चीन और शक्सगाम घाटी के निर्जन क्षेत्रों पर अपना दावा करता है। इन विवादों का अंत न होने तक ये सीमांत इलाके देश के लिए निरंतर सिरदर्द बने रहेंगे।

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