शैलेंद्र श्रीवास्तव
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि यदि ‘इंडिया गठबंधन’ की सरकार बने तो भाजपा के अनेक नेता जेल में होंगे। उनकी इस बात पर भाजपा में तिलमिलाहट होना स्वाभाविक है। तपाक से पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि यह उनकी तानाशाही सोच को दर्शाता है। वैसे पिछले १० वर्षों से हम देश की राजनीति में जुमला, जेल और तानाशाही जैसी बातों के इर्द-गिर्द ही गतिविधियां देख रहे हैं। वर्ष २०१४ में भारी भरकम घोषणाओं और अनेक दावों के साथ बहुमत लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने में कामयाबी पाई। इस समय वह लगातार तीसरी बार सत्ता में है। हालांकि, इस बार उसे अपेक्षा से कहीं कम मत मिले और उसे दो अन्य दलों का सहारा लेकर सरकार बनाने की मजबूरी में झेलनी पड़ी है। जुमला तब चर्चा में आया जब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के तमाम दावों की धज्जियां उड़ गर्इं, क्योंकि सरकार बनने के बाद वह अपने कई वादों को पूरा करने में विफल रही। लाखों नौकरियां देने का अपना वादा वह पूरा नहीं कर पाई। उसके दावों को लेकर जब सवाल किए गए तो खुद भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित शाह ने कहा कि यह तो जुमला था। राजनीति में जुमलेबाजी होते रहती है। उसके बाद ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी जांच एजेंसियों की छापे की कार्रवाई अधिकांश विरोधी दलों के नेताओं पर ही हुई अनेक विरोधी दल के नेता भेजे गए। यहां तक कि कुछ मुख्यमंत्री भी जेल गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी भी जेल में हैं। इस बीच तमाम प्रतिरोध के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐसे पैâसले लिए जो समस्त भारतीय जनमानस को पूर्णत: स्वीकार्य नहीं हो पाए। इसलिए मोदी सरकार पर तानाशाही होने का आरोप भी विरोधी दलों ने लगाया है। इसी परिप्रेक्ष्य में यदि हम मल्लिकार्जुन खड़गे के ताजा बयान को समझें तो वह उसी बात का जिक्र कर रहे हैं जो वर्तमान में हो रही है। उनके कहने का यह भी अर्थ समझा जा सकता है कि जो ज्यादा एजेंसियां आज केवल विरोधी दलों पर कार्रवाई कर रही हैं कल सत्ता परिवर्तन होने पर वही काम जारी रहा तो संभव है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर भी कुछ कारवाइयां हों। वैसे जुमलेबाजी की राजनीति में यदि इसे जुमलेबाजी समझा जाए तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। देश में वर्तमान राजनेताओं में एक-दूसरे के खिलाफ जिस तरह की बयानबाजियां होती हैं उसमें राजनीति कम एक-दूसरे पर कटाक्ष बहुत ज्यादा होता है। लोग एक-दूसरे को गलत बताने के चक्कर में कई तरह के शब्दों का और कई तरह की भाषा का ऐसा प्रयोग करते हैं जिसे देखकर या सुनकर आम जनता भी हैरान रहती है। हमें उम्मीद करनी चाहिए की राजनीति में बयानबाजी, भाषा और आपसी संबंधों की कुछ मर्यादाएं भी स्थापित हों ताकि देश की जनता और आने वाली युवा पीढ़ी राजनीति को और नेताओं को सम्मान की दृष्टि से भी देखें।