कविता श्रीवास्तव
एक कहावत है कि जो किसी के आगे सिर नहीं झुकाता उसे भी नाई के आगे तो सिर झुकाना पड़ता ही है। बाल जो कटवाना होता है। नाई सिर ही नहीं झुकवाते। वे कभी कान तो कभी गर्दन भी मोड़ते हैं। बचपन में लड़के बाल कटवाने जाते थे तो माताएं कहती थीं, ‘खत अच्छे से कटवा लेना।’ माता-पिता कनपटी पर बढ़े बाल को सही करने पर जोर देते थे। पुराने नाई वर्षों से कान पकड़ कर खत काटते रहे हैं। लेकिन अब खत कटवाने का जमाना तो नहीं रहा। खत लिखने और नाइयों के कान खींचने का जमाना आ गया है। इस नए जमाने में कर्नाटक के एक स्कूली मास्टर ने सैलूनवालों की गर्दन पकड़ी है। नाइयों के कान खींचते हुए उन्हें खत लिख कर बच्चों के बाल सही ढंग से काटने की हिदायत दी है।
शिक्षक वैसे भी समाज को सही दिशा देने और समाज सुधारक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का पूज्यनीय पद है। संभवत: इसीलिए इस शिक्षक की अपील क्या वायरल हुई वे सुपरहिट हो गए। उनके एक खत ने कमाल कर दिया और माता-पिता, शिक्षक वर्ग से लेकर पूरे समाज और यहां तक की नाइयों ने भी उनकी बात का समर्थन किया। क्योंकि इन दिनों कॉलेज ही नहीं स्कूली बच्चों में भी पूरा खत सफाचट करवा कर जीरो स्टाइल की लुक बनवाने का पैâशन है। नए जमाने में बाल के अजीबोगरीब पैâशन आए हैं। डिस्कनेक्टेड, जिकजैक, थ्री लेयर जैसे हेयर कट इस वक्त चलन में हैं। कम उम्र के लड़के इसे पसंद कर रहे हैं। इसके लिए कई सारे उपकरण, ट्रिमर आदि प्रयोग किए जाते हैं। हर लड़का अलग स्टाइल की कटिंग करवाना चाहता है। कोई फिल्म आई नहीं कि बच्चे उसी के हीरो का कट करवाने पहुंच जाते हैं। कर्नाटक के स्कूली बच्चों ने वहां की ब्लॉक बस्टर फिल्म ‘हेब्बुली’ में अभिनेता सुदीप की तरह बाल कटवाना शुरू किया। इसी फिल्मी स्टाइल से तंग आकर कर्नाटक के कुलहल्ली गांव के एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक शिवाजी नाइक ने स्थानीय सैलूनों को खत लिखकर एक उत्साही अपील की। उनका पत्र इंटरनेट पर वायरल हो गया। उनके पत्र की सभी ने प्रशंसा की। हेडमास्टर शिवाजी नाइक ने लिखा, ‘हमारे स्कूल में कई छात्र हेबुल्ली शैली में बाल कटवा रहे हैं। उनकी इस पैâशन चेतना ने पाठ्यक्रम में उनकी रुचि को कम कर दिया है और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप हमारे छात्रों के अनुशासित बाल काटें। यदि कोई छात्र फिल्मी शैली में बाल कटवाने की मांग करता है, तो कृपया माता-पिता या स्कूल को इसकी सूचना दें।’ इसके बाद एक सैलून मालिक चन्नप्पा को बाध्य होना पड़ा और उन्होंने बच्चों के फिल्मी शैली में बाल काटना बंद कर दिया। नाइक के लिखे खत के कारण अब बच्चों के खत सही ढंग से काटे जाएंगें। ऐसे खत कालेजों और कामकाजी स्थलों से भी निकलने लगें तो आश्चर्य नहीं होगा।