मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : बल्लेबाजी सिद्ध करो

तड़का : बल्लेबाजी सिद्ध करो

कविता श्रीवास्तव

क्रिकेट से लोगों का इतना लगाव है कि किसी बॉलर की सधी हुई एक गेंदबाजी या किसी बल्लेबाज का जम के लगाया गया एक शॉट भी लाखों क्रिकेट प्रेमियों में रोमांच भर देता है। इसी तरह कोई छोटी सी चूक भी सबको निराश करने के लिए काफी होती है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में हुए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की शर्मनाक पराजय हुई। पराजय का मुख्य कारण बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन रहा। इससे भारतीय क्रिकेट प्रेमियों में नीरसता सी छाई है। इस सीरीज में भारत ३-१ से पराजित हुआ है। इसके साथ ही भारत पहली बार विश्व क्रिकेट चैंपियनशिप स्पर्धा के फाइनल से भी बाहर हो गया है और तीसरे नंबर पर जा पहुंचा है। पिछले १० वर्षों के इतिहास में पहली बार भारत फाइनल में नहीं खेलेगा। इस समय निचले क्रम की भारतीय बल्लेबाजी को लेकर खूब चिंताएं हैं। दिग्गज बल्लेबाज रोहित शर्मा और विराट कोहली का प्रदर्शन अत्यंत निराशापूर्ण रहा। ये दोनों ही खिलाड़ी अपनी क्षमताओं के अनुरूप प्रदर्शन करने में विफल रहे। ये दोनों ही भारतीय बल्लेबाजी की कमजोर कड़ी साबित हुए। कोहली ने नौ पारियों में एक नाबाद शतक सहित १९० रन बनाए, जबकि रोहित ने पांच पारियों में केवल ३१ रन बनाए। रोहित शर्मा का प्रदर्शन अत्यंत निराशाजनक रहा है। अब इन दोनों के रिटायरमेंट की चर्चाएं भी होने लगी हैं। हालांकि, दोनों ही खिलाड़ियों ने क्रिकेट में बने रहने का संकेत दिया है। आगामी जुलाई में भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज शुरू होगी। उसके लिए अभी से तैयारी होने लगी है। इधर २३ जनवरी से रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट भी शुरू हो रहा है। यही मौका है जब इस महत्वपूर्ण घरेलू टूर्नामेंट में दिग्गज बल्लेबाज अपनी क्षमताओं का भरपूर प्रदर्शन करें। लेकिन अमूमन देखा गया है कि दिग्गज बल्लेबाज इन घरेलू टूर्नामेंटों से कन्नी काट लेते हैं। सभी चाहते हैं कि वरिष्ठ खिलाड़ी इस रणजी ट्रॉफी में अपना प्रदर्शन दिखाएं और खुद को साबित करें। महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भी कहा है कि देखते हैं कौन-कौन से दिग्गज इसमें खेलते हैं। सभी को इसमें खेलना चाहिए। टीम के कोच गौतम गंभीर भी चाहते हैं कि घरेलू क्रिकेट में खेलकर खिलाड़ी अपने आपको सिद्ध करें, ताकि आगे के सीरीज की तैयारी भी हो पाए। फिलहाल, बल्लेबाजी का आलम यह है कि बॉर्डर-गावस्कर टूर्नामेंट की सात इनिंग्स में भारतीय बल्लेबाज २०० का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए थे। रोहित शर्मा, विराट कोहली, यशस्वी जायसवाल व अन्य फिसड्डी सिद्ध हुए। अब सभी की निगाहें जुलाई में होनेवाले भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज पर लगी हुई हैं। देशवासी बेहतर खेल की उम्मीद लगाए बैठे हैं। फिलहाल, रोहित और कोहली के भविष्य को लेकर भी अटकलें तेज हैं। इसीलिए रणजी ट्रॉफी के मैच बल्लेबाजों के लिए महत्वपूर्ण समझे जा रहे हैं। इस घरेलू टूर्नामेंट में बल्लेबाजों को खुद को सिद्ध करने की बड़ी चुनौती है।

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