कविता श्रीवास्तव
राहुल गांधी ने अपने समर्थकों और सहयोगियों से अपील की है कि वे अमेठी से पराजित हुई भाजपा की नेता स्मृति ईरानी के बारे में कोई भी आपत्तिजनक या अपमानजनक टिप्पणी करने से बचें। उन्होंने ऐसा करने से सभी को मना किया है। उन्होंने कहा कि हार-जीत जीवन का हिस्सा है। किसी को लज्जित या अपमानित करने से मजबूती नहीं, कमजोरी झलकती है। राहुल की इस तरह की पोस्ट को लेकर राजनीतिक गलियारों में ही नहीं आम लोगों में भी अच्छी खासी चर्चा हो रही है, क्योंकि यह बात कह कर राहुल गांधी ने अपनी बड़ी सोच का परिचय दिया है। ये वही राहुल गांधी हैं, जो दिन-रात भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के निशाने पर रहते हैं और अपने बारे में उनके ऊल-जलूल बयानों को झेलते हैं। विभिन्न चुनावों में कांग्रेस की पराजय पर भारतीय जनता पार्टी लगातार ही उनका माखौल उड़ाती रही है और उसके बड़े नेताओं ने भी हर वक्त उन पर तंज कसा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कभी `पप्पू’ तो कभी `शाहजादे’ कहकर संबोधित करने से बाज नहीं आते हैं।ं पिछली बार अमेठी में राहुल गांधी के चुनाव हारने पर खुद स्मृति ईरानी ने भी उन पर लगातार तंज कसने में कभी कमी नहीं की। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने बार-बार राहुल गांधी को अमेठी आकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी। राहुल गांधी पर उनके बयान हमने टीवी खबरों में कई बार देखे हैं। वे उनके अमेठी से चुनाव न लड़ने पर उन पर भाग जाने का व्यंग्य करती रही हैं। वे हमेशा ही राहुल गांधी को लेकर तरह-तरह की बयानबाजी करती रही हैं। लेकिन अमेठी सीट से कांग्रेस ने राहुल गांधी को नहीं, बल्कि उनके परिवार से जुड़े रहे किशोरीलाल शर्मा को चुनाव लड़वाया और अमेठी के मतदाताओं ने स्मृति ईरानी को पराजित कर दिया। शर्मा को स्मृति ईरानी से डेढ़ लाख ज्यादा मत मिले और अंतत: उनकी बोलती बंद हुई। राहुल गांधी अमेठी के बदले पास की रायबरेली सीट से चुनाव लड़कर विजयी हुए। इतना ही नहीं कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित देश भर में अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाई है। अब राहुल गांधी लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता के संवैधानिक पद पर हैं और वे जनता की आवाज बनकर जनता के मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा कर चुके राहुल गांधी आज भी मणिपुर, गुजरात, उत्तर प्रदेश से लेकर देश के तमाम हिस्सों में आम लोगों के दुख-तकलीफ, उनकी पीड़ाओं को जानने के लिए पूरी सक्रियता से उपस्थित हो रहे हैं। बीते दिनों हमने देखा कि आरएसएस ने भी भाषा मर्यादा और अहंकार की भाषा पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। हाल ही में महाराष्ट्र के दौरे पर आए उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने भी राजनीति में सबसे अच्छे आचरण की उम्मीद व्यक्त की। हम देखते हैं कि राहुल गांधी ने अपने भाषणों में मर्यादाओं को हमेशा महत्व दिया है। उनकी ताजा पहल भी सराहनीय है। राजनीति का स्तर आदर्शवादी हो यह जरूरी है।