कविता श्रीवास्तव
सऊदी अरब का पहला रोबोट हाल ही में लॉन्च हुआ। इसके उद्घाटन समारोह में ही रोबोट ने वहां उपस्थित एक महिला रिपोर्टर से बद्तमीजी कर दी। रोबोट की इस आपत्तिजनक हरकत से महिला रिपोर्टर सबके सामने झेंप सी गई और यौन उत्पीड़न का शिकार बनी। इसका वीडियो भी वायरल हुआ। माना कि रोबोट इंसान नहीं है। वह मनुष्य का बनाया हुआ एक यंत्र है, जो मनुष्य की तरह काम करता है। लेकिन वह भी हमें परेशान कर सकता है। आज हम बड़ी तेजी से ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (एआई) क्रांति की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन उसके संभावित दुष्परिणामों को लेकर सारी दुनिया चिंतित है। सऊदी अरब के पहले रोबोट ने अपने उद्घाटन के अवसर पर ही इस चिंता को बढ़ा दिया है। हालांकि, रोबोट मशीन है। लेकिन वह इंसानी दिमाग की तरह काम करता है। उसकी अश्लील किस्म की हरकत किसी तकनीकी गड़बड़ी का परिणाम थी या उसकी प्रोग्रामिंग में खामियां थीं, यह जांच में स्पष्ट होगा। लेकिन यह तय है कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ पूरी तरह मनुष्य जैसे दिमाग की तरह काम कर सकता है, यह संदेहास्पद ही है। मनुष्य परिस्थितियों, भावनाओं और संभावित असर को समझकर नैसर्गिक तरीके से सोचता है और सटीक निर्णय लेता है। यह सब कुछ यदि कंप्यूटरीकृत दिमाग से ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ के माध्यम से मशीनें करने लगेंगी तो आगे चलकर मनुष्य की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। खैर, हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि मनुष्यों को कई बार आशोभनीय या आपत्तिजनक हरकतें करने से हम रोक सकते हैं। लेकिन किसी मशीन में यदि गड़बड़ी आ जाए और वह अप्रत्याशित हरकतें करने लगे तो वह विनाश भी कर सकती है। इसका नजारा रजनीकांत की फिल्म ‘रोबोट’ में दिखाया गया था। सऊदी अरब के एक्सपर्ट्स ने सबके सामने स्वयं को आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए दिखाया और अपने रोबोट को आम प्रदर्शन के लिए सामने रखा था। लेकिन उस रोबोट ने गंदी हरकत करते हुए महिला को पीछे से गलत तरीके छू दिया। इस घटना ने ‘एआई’ की तकनीकी खामियों को उजागर कर दिया। मनुष्य के विकास और दुनिया को आधुनिक बनाने के लिए ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ बहुत ही उपयोगी माध्यम हो सकता है। लेकिन इसके दुष्परिणामों की रोकथाम के तगड़े उपाय करने आवश्यक हैं। ‘एआई’ की गतिविधियां उसे कंट्रोल करने वाले इंसान पर निर्भर है। ‘एआई’ किसी चीज के बारे में सोच कर निर्णय लेता है और उसे लागू करता है। यह उसे मनुष्य द्वारा दिए गए सिस्टम पर निर्भर है। यह कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप है। हर ‘एआई’ खतरनाक ही हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन उसके गड़बड़ होने पर उसे रोकने के इंतजाम जरूरी हैं। ‘एआई’ से निजी गोपनीयता आम होने और कई मामलों में पक्षपात किए जाने की गलती भी संभव है। शरारतपूर्ण प्रोग्रामिंग बनाने से ‘एआई’ मनुष्यों के लिए खतरा तो हो ही सकता है।