मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : डॉक्टरी के लिए घपला!

तड़का : डॉक्टरी के लिए घपला!

कविता श्रीवास्तव

नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी) यानी `नीट’ की परीक्षाओं को लेकर भारी घमासान मचा हुआ है। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए यह परीक्षा पास करना अनिवार्य है। इसी `नीट’ की गुणवत्ता के आधार पर उपयुक्त मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिए जाते हैं। इस साल इन परीक्षाओं में भारी धांधली और घपलाबाजी होने को लेकर कई खुलासे हुए हैं और देशभर से आवाज बुलंद हुई है। बिहार के पटना और गुजरात के गोधरा में कई लोगों की धर-पकड़ हुई है। देश की कई अदालतों में मामले गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर संज्ञान लिया है और केंद्र सरकार भी हरकत में आई है। इसमें पैसे के भारी लेन-देन की आशंका जताई गई है इसलिए पुलिस की अपराध शाखा और आर्थिक अपराध इकाई भी कार्रवाई कर रही है। इस पूरे मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) संदेह के घेरे में आई है, क्योंकि `नीट’ परीक्षाएं करवाने का जिम्मा इसी एजेंसी का है। उसी ने परीक्षा में गड़बड़ी होने की बात को खारिज कर दिया था। इस परीक्षा में एक ही परीक्षा केंद्र से कई लोगों के शत-प्रतिशत मार्क आने से मामला उजागर हुआ। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एनटीए ने जिन विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए थे, वह रद्द कर दिए गए। अभी भी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गड़बड़ी की बात से इनकार कर रहे हैं। दूसरी ओर इन परीक्षाओं से जुड़े लगभग २४ लाख विद्यार्थियों और उनसे जुड़े परिवार बुरी तरह आशंकित हैं। हम सब जानते हैं कि डॉक्टरी का पेशा बहुत ही पवित्र और सम्मानजनक समझा जाता है। डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जिस तरह से मेडिकल की पढ़ाई के लिए धांधलियां सामने आ रही हैं और लाखों रुपए के लेन-देन के आरोप लग रहे हैं, उससे इसकी पवित्रता पर दाग लगते हैं। ग्रेस मार्क्स देकर डॉक्टर बनाना भी उचित नहीं है। डॉक्टरी का पेशा लोगों की जान बचाने का है। चिकित्सा के नाम पर जब पहले से ही गड़बड़ियां करके विद्यार्थी आएंगे तो पेशेवर तौर पर उनका रवैया कैसा होगा? यह सोचकर ही डर लगता है। वैसे भी चिकित्साजगत में मनमानी और भारी रकम वसूलने की शिकायतें अक्सर होती रहती हैं। इसी तरह दवाइयों के सैंपल बेचे जाने और नकली दवाइयों के कारोबार का भी कई बार भांडाफोड़ हुआ है। ऐसे में यही समझ आता है कि कुछ लोग घपलाबाजी और पैसे के बल पर प्रवेश लेकर डॉक्टर बन जाते हैं, जबकि अनेक योग्य विद्यार्थी अपनी ईमानदारी के कारण पीछे रह जाते हैं। यह हमारे देश की व्यवस्थाओं का दुर्भाग्य है। परीक्षाओं में पारदर्शिता का एनटीए पर बहुत बड़ा दायित्व है। उसकी व्यवस्था में अगर कहीं ढिलाई या कोताही नजर आती है तो उसका जांच की राडार पर आना स्वाभाविक है, क्योंकि जांच के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी सामने आएगा।

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