मुख्यपृष्ठखबरेंतड़का : आतंकवाद या जिहाद?

तड़का : आतंकवाद या जिहाद?

कविता श्रीवास्तव

कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों पर हुआ जानलेवा हमला आतंकवादी हमला है या जिहादी हरकत? यह प्रश्न सबसे ज्यादा चर्चा में है। जब आतंकी लोगों के नाम और उनके धर्म पूछ कर या उनके शरीर की जांच करके उन्हें पहचान कर निशाना बनाते हैं तो यह कोई मामूली बात नहीं है। धार्मिक भेद पहचानकर जान ले लेना केवल आतंकवादी हरकत नहीं है, साफतौर पर यह टारगेट अटैक है। ताज्जुब की बात यह है कि हमारी तमाम खुफिया व जांच एजेंसियों, सुरक्षा बलों, हमारी सीमा सुरक्षा व्यवस्था सभी को अंगूठा दिखाते हुए आतंकवादी हथियार लेकर पहलगाम में कैसे घुस आए? पर्यटकों में लोकप्रिय पहाड़ियों पर स्थित मिनी स्विट्जरलैंड तक आसानी से पहुंच गए। हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाकर हमला बोल दिया और वहां से बड़ी आसानी से निकल भी गए। हमारे हेलिकॉप्टर, खोजी कुत्ते, ड्रोन कैमरे, सुरक्षा व जांच एजेंसियां सभी उन्हें ढूंढने की कोशिश कर रही हैं। आखिर दहशतवादी इतना बड़ा हमला करके कहां चले गए? २८ लोगों की जान जाने के बाद जो खुलासे आ रहे हैं उसमें बताया गया कि हमलावरों ने कुछ दिनों पहले भारत में प्रवेश किया था। उनकी तस्वीरें भी आ गई हैं। उनके आने के रूट का भी पता चला है, पर ये सारी बातें हमले के बाद सामने आई हैं। यह पहले पता लगाने में हमारा खुफिया तंत्र असफल क्यों हो जाता है। देश में आतंकवादियों के घुसपैठ की खबरें लगातार आती हैं। हम अपनी सीमाओं पर सुरक्षा करने में विफल क्यों हैं। जम्मू-कश्मीर में जब भी कोई हमला होता है तो सबसे पहले वहां पर्यटन का रोना रोया जाता है। हर बार यही सवाल उठते हैं कि हमले के बाद कश्मीर का पर्यटन व्यवसाय कम होगा। कश्मीर का नुकसान होगा। बुधवार को भी कश्मीर बंद का एलान हुआ और वहां हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। ऐसा शोर कश्मीरी हर बार मचाते हैं। इस बार भी कश्मीर के नेता, आम लोग और व्यापारी टीवी वैâमरों पर आकर बयान दे रहे हैं कि हमले की वे निंदा करते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद सवाल है कि आतंकवादी कश्मीर में किसकी शह पर अपने काम को अंजाम देते हैं। निश्चित रूप से यह स्थानीय सहयोग के बिना संभव नहीं है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तगड़ी मौजूदगी के बावजूद अगर आतंकवादी या जिहादी वहां बेखौफ सक्रिय और सफल हैं तो स्पष्ट है कि इसमें बहुत बड़ा स्थानीय समूह मददगार हैं। आतंकवाद और जिहाद की जड़ों को वहां खाद-पानी मिलता है। उसे नेस्तनाबूद करने का काम जब तक नहीं होगा, ऐसे हमले रोकने में हम विफल ही होंगे। घटना के तुरंत बाद गृहमंत्री की सक्रियता और स्वयं ग्राउंड जीरो तक उनका पहुंचना बहुत बड़े मायने रखता है। इसके अच्छे संकेत हैं कि भारत सरकार ऐसी हरकतों की अनदेखी नहीं करेगी। फिर भी यह सवाल बना रहेगा कि आखिर कश्मीर में आतंकवादी घुसपैठ, उनको मिलनेवाला प्रश्रय, हथियारों की सप्लाई और स्थानीय समर्थन को वैâसे रोका जाए?

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