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तड़का: हेमा की गरिमा

कविता श्रीवास्तव
लालू यादव ने एक बार बिहार की सड़कें हेमा मालिनी के गाल की तरह बनवाने का बयान देकर चर्चा बटोरी थी। इस पर हेमा मालिनी बिलकुल नाराज नहीं हुई और हंसते हुए प्रतिक्रिया दी थी कि वे तो ऐसे ही बोलते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार जा रही थी और संसद के आखिरी दिन रामदास आठवले ने उनकी तारीफ में एक कविता सुनाई और आंख भी मारी। तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को जब उन्होंने ‘चालू’ संबोधित किया तो वे खिलखिला उठे। लोगों ने इस पर खूब ठहाके लगाए। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां सदन के भीतर हंसी-मजाक, शेरो-शायरी और परस्पर नोक-झोंक हमेशा देखी जाती है। लेकिन यही काम यदि राहुल गांधी कर दें तो…!!! बस, मिल गया मुद्दा। राहुल गांधी ने क्या कहा, क्या किया, वैâसे किया, वहां क्यों गए, ऐसा क्यों करना चाहते हैं… आदि-आदि। उनको लेकर पूरी भारतीय जनता पार्टी, उनके प्रवक्ता, अनेक केंद्रीय मंत्री और स्वयं प्रधानमंत्री तक सभी लोग अपनी ऊर्जा खपाते दिखते हैं। यह हम पिछले कई वर्षों से देख रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके परिवार और खानदान पर अनेक आरोप लगाने, उन्हें बुरी तरह बदनाम करने के सतत प्रयास जारी ही रहते हैं। इससे प्रतीत होता है कि कुल मिलाकर आम लोगों में उनकी छवि एकदम नगण्य सिद्ध करने का एक सामूहिक अभियान चल रहा है। इससे नफरत का भाव ही झलकता है। नहीं तो सदन में प्रधानमंत्री को गले लगाना, आंख मारना या कथित फ्लाइंग किस देना आदि कोई बहुत बड़ा मामला तो नहीं है। यह मणिपुर के अत्यंत ही संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय से ज्यादा आवश्यक भी नहीं है। लेकिन चूंकि बात राहुल गांधी की है और मुद्दा उछालने का मौका मिला तो भाजपाई कहां पीछे रहने वाले हैं। राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा की महिला सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को शिकायत पत्र दिया। लेकिन उस पर दस्तखत करने वाली हेमा मालिनी ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को ऐसा करते देखा ही नहीं। उनके इस बयान ने स्मृति ईरानी व अन्य के दावों की हवा ही निकाल दी है। ध्यान रहे कि हेमा मालिनी भी उसी फिल्मी दुनिया से हैं, जहां से स्मृति ईरानी हैं। हेमाजी का नाम और उनकी प्रतिष्ठा इसी फिल्मी दुनिया से बनी है। वे राजनीति में भी हैं। संसद के उच्च सदन में सेवा कर चुकी हैं। फिलहाल धार्मिक नगरी मथुरा से निर्वाचित होकर लोकसभा की सदस्य हैं। उन्होंने हमेशा अपनी गरिमा और लोक मर्यादाओं को उच्च दर्जे का बनाए रखा है। सुना तो गया है कि उनकी पार्टी उन्हें महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री भी बनाना चाहती थी। पर वे सीमित राजनीति में ही संतुष्ट हैं। उन्होंने कभी ओछी राजनीति करने का प्रयत्न भी नहीं किया। इसलिए उन्हें पक्ष-विपक्ष ही नहीं आम जनता भी बहुत ही सम्मान की नजर से देखती है। सामाजिक-राजनीतिक जीवन में उनकी छवि प्रेरणा का स्रोत भी है। राहुल गांधी के ताजा मामले में भी उन्होंने एक बार फिर यह सिद्ध किया है।

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फेक आलिया