मुख्यपृष्ठस्तंभतड़का : नहीं हो सकता दूसरा कपिल देव!

तड़का : नहीं हो सकता दूसरा कपिल देव!

कविता श्रीवास्तव

हिंदुस्थान को दूसरा कपिल देव क्यों चाहिए? कोई भी कपिल देव अकेले वर्ल्ड कप नहीं जिता सकता। उसके लिए बेहतरीन टीम चाहिए। यह बात किसी और ने नहीं देश के महान क्रिकेटर कपिल देव ने स्वयं कही है। यह है कपिलदा के बड़प्पन का परिचय और उनकी सच्ची खेल भावना। कपिल देव क्रिकेट विश्व कप जीतने वाले पहले हिंदुस्थानी कप्तान रहे हैं। आज भी उनका नाम विश्व कप जीतने वाले सबसे कम उम्र (२४ वर्ष) के कप्तान के रूप में दर्ज है।
हमें याद है, आज से ४० वर्ष पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हिंदुस्थान की क्या स्थिति थी। आज जो कॉर्पोरेट्स और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हिंदुस्थानी क्रिकेट की स्पांसरशिप लेकर करोड़ों रुपए लगाती हैं, वे इस टीम की ओर देखती तक नहीं थीं। तब कपिल देव की शानदार कप्तानी में हिंदुस्थान ने १९८३ में पहली बार वर्ल्ड कप जीत कर क्रिकेट का इतिहास रचा था। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी स्वयं कपिल देव ने। मैच इंग्लैंड में हो रहा था और उस समय हिंदुस्थान में रात थी। पहली बार हर घर में लोग टीवी के सामने डटे हुए थे। अपनी शानदार गेंदबाजी के बाद फाइनल मैच में मदन लाल की गेंद पर उस वक्त के सबसे तगड़े बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स का वैâच जैसे ही कपिल देव ने दौड़कर लपका, पूरी बाजी ही पलट गई। दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज की पूरी टीम ही धराशायी हो गई। उससे पहले कपिल देव ने जिंबाब्वे के खिलाफ हिंदुस्थान की सिमट चुकी पारी को अपनी ऐतिहासिक बल्लेबाजी से जीत दिलाई थी। उन्होंने १७५ रनों की धुआंधार नाबाद पारी खेल कर दुनिया भर के क्रिकेटरों को चौंका दिया था। उससे पहले कोई हिंदुस्थानी बल्लेबाज ऐसा कभी नहीं खेला था। जब कपिल देव ने पहली बार वर्ल्ड कप उठाया, तो पूरे देश ने गर्व का अनुभव किया। उसके बाद से ढेर सारी क्रिकेट अकादमी और ढेर सारे ट्रेनिंग सेंटर पूरे देश में खुल गए और क्रिकेट के प्रति ऐसी दीवानगी बढ़ी कि आज हर घर का बच्चा क्रिकेटर बनना चाहता है। १४० किमी प्रति घंटे की गति से गेंद को स्विंग करने की क्षमता के लिए उन्हें दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों में गिना जाने लगा। आज भी उन्हें हिंदुस्थान का अब तक का सबसे बड़ा ऑल-राउंडर माना जाता है। अपने १६ साल के करियर में उन्होंने १३१ टेस्ट और २२५ एक दिवसीय मैच खेले। उन्होंने टेस्ट मैचों में ४३४ विकेट लेने का कीर्तिमान बनाया व ५ हजार से ज्यादा रन बनाए। वे हिंदुस्थानी टीम के कोच भी रहे। उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान मिला। विजडन ने उन्हें सदी के हिंदुस्थानी क्रिकेटर के रूप में नामित किया। उन्हें आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। उन्हें बीसीसीआई सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला। कपिलदा के खेल ने हिंदुस्थानी क्रिकेट में छाई मायूसी और अंधकार को मिटाकर नई जगमगाती रोशनी पैâलाने की बुनियाद भी रखी। उसके बाद हमने एक से बढ़कर एक क्रिकेटर देखे और हम कई बार वर्ल्ड कप भी जीते। लेकिन कपिल देव जैसा अद्भुत खेल और वैसा रोमांच दोबारा नहीं देखा, न देख पाएंगे।

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