कविता श्रीवास्तव
यूरोप के एक हिस्से में रूस-यूक्रेन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों तरफ के हमलों में अब तक अनगिनत लोगों की मौत हो चुकी है और भारी तबाही हुई है। करोड़ों का कारोबार भी नष्ट हुआ है और युद्ध लगातार जारी ही है। इस बीच यूक्रेन की ओर से रूस पर न्यूक्लियर हमले की तैयारी बड़े खतरे का संकेत देती है। दूसरी ओर गाजा पट्टी में फिलिस्तीन और इजरायल के बीच युद्ध में अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस युद्ध में ईरान व खाड़ी के अन्य मुल्क भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। इस बीच हमारे एशिया खंड में ताजा खबर है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले किए, जिसमें १५ लोग मारे गए हैं। जवाब में अफगानिस्तान के तालिबानियों ने कहा है कि वे अपनी संप्रभुता और भूमि की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान पर वे जवाबी कार्रवाई अवश्य करेंगे। यह कार्रवाई किस तरह की होगी इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। यह कार्रवाई पाकिस्तान पर उसका हमला भी हो सकता है। इस तरह वैश्विक स्तर पर युद्ध की ये स्थितियां वैश्विक प्रगति और विश्व शांति के प्रयासों के लिए बड़ा व्यवधान पैदा कर रही हैं। अफगानिस्तान के बरमल जिले पर पाकिस्तान ने जो हवाई हमले किए हैं, उनमें महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम १५ लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के बढ़ते हमलों और घुसपैठ को लेकर दोनों देशों के बीच अर्से से तनाव है। पाकिस्तान कई बार अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार से हमले रोकने के लिए हिदायतें देता रहा है। अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार का कहना है कि उसका इन हमलों में कोई हाथ नहीं है। पाकिस्तान ने सीमा पार से आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए अफगानिस्तान के साथ सीमा पर २०१७ में बाड़ लगाना शुरू किया था। अफगानिस्तान ने इसका विरोध किया था और खूब निंदा की थी। पाक-अफगान सीमा पर अक्सर मुठभेड़ की खबरें भी सुनी जाती हैं। इसका दूसरा पक्ष यह है कि पाकिस्तान जिस समस्या से जूझ रहा है, वैसी समस्या उसने भारत के लिए लंबे अर्से से जारी रखी है। भारत में पाकिस्तानी सीमाओं से होने वाली आतंकवादी गतिविधियां और घुसपैठ भारत के लिए सिरदर्द है। भारत वैश्विक स्तर पर इसे उठा चुका है। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर चुका है, लेकिन पाकिस्तान खुद सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। भारत विरोधी गतिविधियों के लिए चीन को पाकिस्तान का लगातार साथ मिल रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के अंदरूनी हालत भी कम खराब नहीं है। बलूचिस्तान और पाक अधिकृत पाकिस्तान की अधिकांश जनसंख्या पाकिस्तान से अलग होना चाहती है। हुकूमत उन्हें आवश्यक व्यवस्थाएं, सुविधाएं और समुचित नागरिक अधिकारों से भी वंचित रखती है। अब तालिबानियों पर हमला करके उसने पंगा तो मोल ले ही लिया है। विभिन्न देशों के बीच तनाव को देखकर आशंका होती है कि कहीं हम विश्व युद्ध की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं?