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पैसा देकर निकालो गुस्सा! साकार हो रहे हैं एंगर रूम

दिल्ली, इंदौर, हैदराबाद, बंगलुरु आदि शहरों में पनपने लगे हैं कैफे भड़ास
अगर किसी को गुस्सा आ रहा हो तो वह क्या करे? किसी को अपशब्द कहना ठीक बात नहीं है। कलह करने से रक्तचाप के बढ़ जाने की संभावना है जो अक्सर बढ़ ही जाता है। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। और जो लोग अपने गुस्से को दबाकर रखते हैं, उनके स्वास्थ्य पर भी इसका खराब असर पड़ता है। ऐसे में अब एक नया पार्लर आकार ले रहा है जो आपकी मदद कर सकता है और आपका गुस्सा हल्का हो सकता है। दिल्ली और इंदौर जैसे शहरों में इसके लिए एंगर कैफे बन चुके हैं और जल्द ही यह देश के अन्य शहरों में भी खुलनेवाले हैं। यहां पैसे देकर आप चिल्ला सकते हैं और तोड़फोड़ कर सकते हैं। इससे आपका सारा गुस्सा और भड़ास निकल जाता है और आप अच्छा व हल्का महसूस करने लगते हैं। इस एंगर मैनेजमेंट को मनोवैज्ञानिक ‘डिस्ट्रक्शन थेरेपी’ कहते हैं। इसका मतलब है गुस्से से उबरने के लिए कुछ बरबाद कर देना।
असल में कुछ समय पहले दिल्ली की एक महिला ने वहां कबाड़खाने में जाकर अपनी भड़ास निकाली थी। उसने वहां के कर्मचारी को ५०० का नोट दिया और हाथ में एक स्पैनर लेकर वहां रखे सामान पर हमला बोल दिया। कुछ ही देर में उसने वहां मौजूद सारा सामान तोड़फोड़ दिया। टीवी, म्यूजिक सिस्टम और धातु के डिब्बे फोड़ डाले। उसके बाद उनकी नजर एक तरफ पड़े टेडी बियर पर पड़ी और उसने उसे भी चीरना शुरू कर दिया। करीब ४० मिनट के बाद जब वह रुकी तो वह थक चुकी थी मगर काफी अच्छा महसूस कर रही थी। इसे ही मनोवैज्ञानिक ‘डिस्ट्रक्शन थेरेपी’ कहा जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंदौर में यह थेरेपी पहले से ही चल रही है। ५४ साल के अतुल मालिकराम ने २०१७ में कैफे भड़ास खोला था, जहां थोड़ी रकम देकर आप तोड़फोड़ कर अपना गुस्सा निकाल सकते हैं। इन्हें रेज रूम कहें या ब्रेक रूम, एंगर रूम, डिस्ट्रक्शन रूम अथवा स्मैश रूम कहें। अब ये देश के कई शहरों में हैं।
हाल ही में बंगलुरु में भी ऐसा ही एक रूम खुला है। अक्टूबर २०२२ में हैदराबाद में भी एक रेज रूम खुला था। गुरुग्राम का ब्रेक रूम कुछ साल पहले बंद हो गया था। हैदराबाद में रेज रूम २५ साल के सूरज पुसरला ने शुरू किया था। एक स्टार्ट-अप में काम करने वाले सूरज एक दिन दोस्तों के साथ बैठे थे और बात कर रहे थे कि बच्चे अपनी भावनाएं जताने के लिए सामान तोड़ दें तो कोई कुछ नहीं कहता। बड़े होने पर भी कभी-कभी आपको उसी तरह भड़ास निकालने की जरूरत पड़ती है। यहीं से रेज रूम की शुरुआत हुई। सूरज ने कबाड़ियों से बेकार सामान खरीदा और दो कमरों में भर दिया। २० मिनट तक भड़ास निकालने के लिए लोग यहां ८०० से २,८०० रुपये तक चुकाते हैं। इसमें उन्हें क्रेट और इलेक्ट्रॉनिक कचरा वगैरह तोड़ने का मौका मिलता है। वे डार्ट से बोर्ड पर निशाना भी लगाते हैं। चोट से बचने के लिए उन्हें सुरक्षा सूट, हेलमेट, दस्ताने और जूते दिए जाते हैं।

दफ्तर की किसी बात पर भड़ास निकालनी है तो मेज, कुर्सियां, कंप्यूटर, फोन आदि रखकर कमरे में दफ्तर जैसा माहौल तैयार कर दिया जाएगा। इंदौर के रेज रूम के संचालक के अनुसार, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया घूमते हुए उनके दिमाग में यह विचार आया था।

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