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तीन साल की बच्ची को गोद में लेकर महिला जज ने गैरेज में छुपकर बचाई जान! … हरियाणा में हैवानियत चरम पर

सामना संवाददाता / गुरुग्राम
हरियाणा के नूंह में सोमवार को हुई दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के कारण प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। नूंह में कल भी कर्फ्यू जारी रहा। उपद्रव को रोकने के लिए जिला उपायुक्त प्रशांत पंवार ने धारा १४४ लगाने का निर्देश दे रखा है। ५ अगस्त तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है, मामले में गिरफ्तारियों का दौर जारी है। इस बीच ३१ जुलाई यानी हिंसा वाले दिन की अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं। इन्हीं में से एक कहानी है हिंसक भीड़ में फंसी एक महिला सिविल जज की, जो डॉक्टर के यहां से दवा लेकर अपने घर लौट रही थीं। उसी दौरान उनकी गाड़ी पर भीड़ ने हमला कर दिया था। भीड़ ने उनकी कार को आग के हवाले कर दिया। अपनी तीन साल की बेटी को गोद में लेकर महिला जज किसी तरह वहां से भागीं और एक गैरेज में छुप कर अपनी जान बचाई।

१ अगस्त को नूंह में इस घटना को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है, इसमें बताया गया है कि एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अंजलि जैन उस दिन अपनी ३ साल की बेटी और गनमैन के साथ मेडिकल कॉलेज से वापस लौट रही थीं। इसी दौरान उनकी गाड़ी पर १००-१५० लोगों की भीड़ ने हमला किया और पत्थरबाजी शुरू कर दी। एफआईआर में महिला जज ने बताया है, ‘हम नलहर में दोपहर २ बजे के करीब दवा लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे, हम वॉक्सवैगन पोलो गाड़ी में थे। दिल्ली-अलवर रोड पर हम जैसे ही बंधन बैंक के पास पहुंचे, तभी भीड़ ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए और हथियार लहराए। तभी गाड़ी पर पीछे से एक पत्थर आया, इतनी ही देर में फायरिंग शुरू हो गई। हमें उस वक्त कुछ वकीलों ने बचा लिया और हम पास में मौजूद बस स्टैंड की वर्क शॉप में छिप गए।’ इस मामले में हत्या की कोशिश, दंगे और आर्म्स एक्ट के सेक्शन २५ के तहत केस दर्ज हुआ है। भीड़ ने जज की कार को आग के हवाले कर दिया था, जिसके निशान अगले दिन देखने को मिले।

एक अन्य एफआईआर में दो होम गार्ड पर हुए हमले की कहानी है, जिसमें उनकी मौत हो गई। हिंसा को काबू करने के लिए नूंह में अतिरिक्त पुलिस बल भेजा जा रहा था, एक बस में पुलिस के जवान और दो होम गार्ड भी थे। लेकिन साइबर पुलिस स्टेशन के पास अनाज मंडी में भीड़ ने इसी बस पर हमला बोल दिया, जिसमें दो होम गार्ड नीरज और गुरसेव की मौत हो गई। एफआईआर के मुताबिक, जब बस अनाज मंडी के गेट पर पहुंची तब एक झुंड हथियारों के साथ आया और हमला बोल दिया। भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू की, रास्ता पूरी तरह रोक दिया और बस को निशाने पर लिया। पुलिसवालों के फोन छीन लिए गए थे, पत्थर-रोड से मारे जा रहे थे। जब भीड़ का हमला बढ़ा तो एक पुलिसवाले ने हवाई फायर कर दी, जिसकी वजह से भीड़ भाग गई और पुलिसवालों की जान बच पाई। इस हमले में कई लोग घायल भी हुए थे
गौरतलब हो कि नूंह में सोमवार को एक शोभायात्रा के दौरान पथराव हुआ और उसके बाद हिंसा शुरू हो गई। नूंह के बाद आसपास के इलाकों में भी हिंसा पैâल गई थी। नूंह में हुई हिंसा मामले में राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने बताया कि अब तक पांच जिलों में कुल ९३ एफआईआर दर्ज की गई हैं। नूंह में ४६, फरीदाबाद में ३, रेवाड़ी ३, गुरुग्राम में २३ और पलवल में १८ एफआईआर दर्ज हुई हैं। कुल १७६ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि ७८ को हिरासत में लिया गया है।

हर दिन हो रहे द्रौपदी के वस्त्रहरण
सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में आए दिन द्रौपदी के वस्त्रहरण हो रहे है। ऐसा कहते हुए भाजपा के संस्थापक नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की है। सरकार द्वारा निर्णय नहीं करने में देरी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि निर्णय लें, या तो मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह को हटाएं या फिर राष्ट्रपति शासन लगाएं, ऐसा मोदी सरकार को सुनाया। ८० दिन बाद भी मणिपुर के हालात नहीं बदले हैं। आगजनी और हिंसा की खबरें अभी भी आ रही हैं। यह अब कहीं न कहीं रुकना चाहिए। ऐसा आक्रोश व्यक्त करते हुए उन्होंने महाभारत का उदाहरण दिया। एक साक्षात्कार में शांता कुमार ने गुस्से में कहा, ‘द्रौपदी के चीरहरण के बाद धर्मयुद्ध (महाभारत) हुआ। जबकि यहां हर रोज द्रौपदी का वस्त्रहरण हो रहा है, अन्य लोग मूक गवाह बन रहे हैं।

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, २० महिलाएं घायल
इंफाल- मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच भड़की हिंसा को कल ३ महीने पूरे हो गए। इस दौरान कल (गुरुवार) विष्णुपुर जिले में फिर से हिंसा भड़क उठी। वहां सुरक्षा बलों और मैतेई समुदाय के बीच झड़प हुई। हालात पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और हवा में गोलियां चलानी पड़ीं। इसमें २० महिलाएं घायल हो गई हैं। विष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन को पार करने की कोशिश की, तभी असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की। गुस्साई महिलाएं सुरक्षा बलों पर पथराव करने लगीं। सुरक्षा गार्डों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी और हवा में गोलियां चलानी पड़ी, जिसमें महिलाएं घायल हो गई हैं।

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