एम एम सिंह
‘व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ के बारे में लगातार बहुत कुछ कहा जाता रहा है। व्हॉट्सऐप एक ऐसी यूनिवर्सिटी है, जो राजा को रंक और रंग को राजा बना सकती है। इस यूनिवर्सिटी में कुछ भी हो सकता है। पढ़ा-लिखा अनपढ़ बन सकता है और अनपढ़ प्रखंड विद्वान बन सकता है! इतिहास बदल सकता है, भूगोल बदल सकता है, विज्ञान बदल सकता है, अर्थशास्त्र बदल सकता है, गणित और गणनाएं बदल सकती हैं। और तो और पौराणिक कथाएं भी बदल सकती हैं! इस यूनिवर्सिटी के अधकचरा ज्ञान से इंसान तो इंसान, ऊपर वाला भी अपनी खैर मना रहा होगा! क्योंकि यहां पर सर्वोपरि है मालिक के मुताबिक उसकी सुविधा सहूलियत और उसकी डिमांड!
अब सुप्रीम कोर्ट के जज ने जो चिंता जाहिर की है, वह कितनी जायज है, समझने लायक है! जस्टिस केवी विश्वनाथन ने ‘व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ के मैसेज को लेकर चिंता व्यक्त की है। जस्टिस ने व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी के मैसेजों से प्रभावित न होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आभासी माध्यमों और व्हॉट्सऐप जैसे मोबाइल ऐप के माध्यम से गलत सूचना के बढ़ते प्रसार एक बड़ी चिंता का विषय है और लोगों को ऐसे संदेशों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने अक्सर प्रयुक्त होने वाले शब्द ‘व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ का उल्लेख किया, जिसका तात्पर्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से फर्जी खबरों और अन्य गलत सूचनाओं के प्रसार से है तथा ऐसे संदेशों से बहकने के प्रति आगाह किया।
लेकिन यह बात सिर्फ हिंदुस्थान की ही नहीं है, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने एक लिस्ट जारी की है। इसका नाम ‘ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट-२०२४’ है। इसमें अगले आने वाले वर्षों में दुनिया के सामने आने वाले १० सबसे बड़े जोखिमों की बात की गई है और इसमें ‘मिसइंफॉर्मेशन’ या ‘डिसइंफॉर्मेशन’ को दुनिया के लिए सबसे बड़ा जोखिम बताया गया है। इसका संबंध फेक न्यूज से है और आम लोगों की स्लैंग में इसे ही ‘व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी का ज्ञान’ कहा जाता है। इस यूनिवर्सिटी को चलाने वाले माननीय लोग या तो खूब पढ़े-लिखे होते हैं या जानबूझकर अनपढ़ बने होने का स्वांग रचते हैं या फिर वाकई अनपढ़ होते हैं! ‘अधजल गगरी छलकत जाए’, मुहावरा भी अपना वजूद खोता हुआ नजर आता है!