– सबसे ज्यादा किशोर हो रहे शिकार
सामना संवाददाता / मुंबई
कोविड महामारी आने के बाद से लोगों में, खासकर किशोरों और युवाओं में ई-स्क्रीन का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। यह चलन जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उसी गति से गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव के भी मामले बढ़ने लगे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, गत वर्ष से तुलना की जाए तो इस साल केवल १० महीनों में ही इस तरह के मामलों में १० से १५ फीसदी की वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा चौंकानेवाली बात यह है कि इसके सबसे ज्यादा शिकार किशोरवयीन हो रहे हैं, जो आनेवाले समय में स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि कोविड के बाद से ही डिजिटल का इस्तेमाल बढ़ा है। लोगों की जिंदगी में स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर, टीवी और कई तरह के डिजिटल डिवाइस हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इससे जिंदगी काफी आसान हो गई है। इसके जरिए कभी काम, तो कभी सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग, कभी मूवी, तो कभी गेम वजह कोई भी हो, लेकिन घंटों मोबाइल जैसे ई-स्क्रीन पर लगे रहना फिजिकल और मेंटल दोनों ही के लिए बहुत ही खराब आदत पैदा हो गई है। कई तरह की सुविधाओं को बढ़ानेवाले डिजिटल डिवाइस का उपयोग बहुत ज्यादा करने से ब्रेन की समस्या बढ़ती जा रही है।
तेजी से बढ़ रहा टेक्स्ट नेक सिंड्रोम
जसलोक अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. राघवेंद्र रामदासी के अनुसार, टेक्स्ट नेक सिंड्रोम की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष २०२३ में मैंने गंभीर गर्दन दर्द और संबंधित समस्याओं वाले १२५ रोगियों का इलाज किया था, जो इस साल अब तक यह संख्या बढ़कर २५२ हो गई है। इनमें से १८० की उम्र १४ से २४ साल के बीच है। इस आयु वर्ग में बढ़ते मस्कुलोस्केलेटल विकारों पर अध्ययन कर रहे चाइल्ड आर्थोपेडिक सर्जन डॉ़ मंदार के मुताबिक, `गर्दन दर्द’ से पीड़ित एक या दो किशोर हर दूसरे दिन उनके क्लिनिक में आ रहे हैं। इसी तरह डॉ. पुरोहित व्यास हर हफ्ते युवाओं में पांच से सात नए मामले देखते हैं।