सामना संवाददाता / ठाणे
ठाणे मनपा के करीब साढ़े तीन हजार से अधिक कर्मचारियों को विधानसभा चुनाव कार्य में नियुक्त किया गया था, जिसके बाद से ठाणे मनपा का कर संग्रह चरमरा गया है। प्रशासन के इस अनियोजित प्रबंधन के कारण यह बात सामने आई है कि मनपा के खजाने में केवल ९५ करोड़ २५ लाख रुपए ही बचे हैं, जिससे एक माह का वेतन दिया जा सकता है। इस कंगाली से ठाणे मनपा प्रशासन तनाव में आ गया है और अब सवाल है कि मनपा अपना वित्तीय प्रबंधन कैसे करेगी? ठाणे मनपा में कुल ५ हजार १८४ अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। कर्मचारियों के वेतन, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और टीएमटी कर्मचारियों के वेतन पर प्रतिमाह १२० करोड़ रुपए खर्च होते हैं, लेकिन ठाणे मनपा के खजाने में सिर्फ ९५ करोड़ २५ लाख रुपए बचे हैं। विधानसभा चुनाव में मनपा के साढ़े तीन हजार से अधिक कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति से सभी प्रकार के करों की वसूली ठंडी पड़ गई है। अब चुनाव खत्म हो गए हैं और प्रशासन ने मनपा को चलाने के लिए जोरदार वसूली अभियान शुरू कर दिया है। यह भी कहा जा रहा है कि ठाणे मनपा में ‘घाती’ गुट का दबदबा है। पिछले ढाई साल से मनपा पर प्रशासनिक शासन है। ऐसी चर्चा है कि राज्य में सत्ता के कारण सभी स्रोत ‘घाती’ गुट द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसलिए कई जगहों पर जरूरत न होने पर भी अनावश्यक फिजूलखर्ची ने मनपा की आर्थिक कमर तोड़ दी है और ठाणेकरों का आरोप है कि प्रशासक की आड़ में भ्रष्टाचारियों ने मनपा को लूट लिया है।